Sunday, 18 May 2025

भारत के अभ्युदय को अब कोई नहीं रोक सकता।

भारत के अभ्युदय को अब कोई नहीं रोक सकता ---
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अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय मैंने भारत से बाहर व्यतीत किया है। विदेशों में रहकर ही मैं भारत को अधिक अच्छी तरह से समझ पाया। भारत का एकमात्र अर्थ जो मैं समझ सका हूँ, वह है -- सत्य-सनातन-धर्म। मेरे लिये भारत ही सनातन धर्म है, और सनातन धर्म ही भारत है। योगिराज श्रीअरविंद ने तो यह बात मेरे इस शरीर के जन्म से बहुत पहिले ही कह दी थी। उन्होने जब ऐसा कहा उस समय तो मेरा जन्म ही नहीं हुआ था। सनातन धर्म का विस्तार ही भारत का विस्तार है और सनातन धर्म का उत्थान ही भारत का उत्थान है। भारत एक ऊर्ध्वमुखी चेतना, और ऐसे लोगों का समूह है जो जीवन में श्रेष्ठतम और उच्चतम को पाने का प्रयास करते हैं। वे अपनी चेतना को विस्तृत कर समष्टि से जुड़ना चाहते हैं, और नर में नारायण को साकार करते हैं।
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भारत के अभ्युदय को अब कोई नहीं रोक सकता। भारत भूमि में दिव्य चेतना से सम्पन्न महान आत्माओं का अवतरण हो रहा है, और वह दिन अधिक दूर नहीं है जब तामसिक और जड़ बुद्धि के लोगों का भारत से सम्पूर्ण विनाश होगा। हमें स्वयं को ही ज्योतिर्मय बनना होगा। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
३ मई २०२५
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पुनश्च: --- सनातन धर्म के कारण ही भारत "भारत" है। भारत से यदि सनातन धर्म नष्ट हो जाये तो यह "भारत" नहीं, पाकिस्तान हो जायेगा। हमारी तो पूर्ण सत्यनिष्ठा से यही प्रार्थना है कि भारतवर्ष में सत्य सनातन धर्म की पुनः प्रतिष्ठा हो, सनातन धर्म का वैश्वीकरण हो, और भारत -- अपने द्विगुणित परम वैभव के साथ एक धर्मनिष्ठ, आध्यामिक और अखंड हिन्दू राष्ट्र हो, सनातन धर्म ही जहाँ की राजनीति हो।

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