Sunday, 18 May 2025

प्रत्येक दिन शुभ है, जिसका आरंभ परमात्मा के ध्यान से करें ---

 मेरे मित्र-समूह में अनेक निष्ठावान स्त्री और पुरुष भक्त हैं जिन पर किसी को भी अभिमान हो सकता है। धन्य है उनकी निष्ठा और उनकी भक्ति। कुछ लोग ऐसे ही चिपके हुये भी हैं, लेकिन वे कम हैं। सभी का कल्याण हो। सभी का जीवन कृतार्थ हो और सभी कृतकृत्य हों।

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प्रत्येक दिन शुभ है, जिसका आरंभ परमात्मा के ध्यान से करें। जो ध्यान नहीं कर सकते वे गणेश जी महाराज और माँ भगवती की वंदना से, या अपने इष्ट देव/देवी के स्मरण से करें। सनातन परंपरा में ध्यान सर्वव्यापी भगवान शिव या विष्णु या उनके अवतारों का ज्योतिर्मय ब्रह्म के रूप में किया जाता है। दिन में चौबीस घंटे, सप्ताह में सातों दिन ईश्वर की चेतना में रहें। जो संस्कृत का शुद्ध उच्चारण कर सकते हैं वे नित्य निम्न पांचों सूक्त या कम से कम एक सूक्त का पाठ अवश्य करें --- (१) पुरुष सूक्त, (२) श्री सूक्त, (३) रुद्र सूक्त, (४) सूर्यसूक्त, (५) भद्र सूक्त॥
जिनका संस्कृत उच्चारण अशुद्ध है वे वेदिक मंत्रों का पाठ न करें।
जिनका उपनयन यानि यज्ञोपवीत संस्कार हो चुका है, उन्हें नित्य कम से कम दस (१० की संख्या में) बार गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। अधिकतम की कोई सीमा नहीं है। कोई संशय है तो जहाँ से आपने दीक्षा ली हैं वहीं से अपनी गुरु-परंपरा में अपने संशय का निवारण करें। गायत्री जप का अधिकार उन्हें ही है जिनका उपनयन संस्कार हो चुका है, अन्यों को नहीं। अपनी अपनी गुरु-परंपरानुसार नित्य संध्या करें।
कृपा शंकर
१० मई २०२५

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