रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान कर के सोयेंगे, तो अगले दिन प्रातःकाल आपकी नींद भगवान की गोद में ही खुलेगी।
आप स्वयं को धन्य मानेंगे कि भगवान स्वयं ही आपको याद कर लेते हैं। यदि यही दिनचर्या बनी रहेगी तो मृत्यु के समय भी आप स्वयं को भगवान की गोद में ही पायेंगे।
समष्टि की सबसे बड़ी सेवा है --- परमात्मा का निरंतर स्मरण !! रात्रि को सोने से पहिले और प्रातःकाल उठते ही परमात्मा का यथासंभव गहरे से गहरा ध्यान करें। परमात्मा एक प्रवाह हैं, जिन्हें स्वयं के माध्यम से प्रवाहित होने दें। वे एक रस हैं, जिन का रसास्वादन निरंतर करते रहें। अपने हृदय का पूर्ण प्रेम और स्वयं को भी उन्हें समर्पित कर दें।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! 













कृपा शंकर
१ मई २०२१
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पुनश्च: ---
निरंजन माला घट मे फिरे दिन रात
सोहंम मन्त्र जपे नित प्राणी,बिन जिव्हा बिन दाँत।
अष्ट पहर मे सोवत जागत,कबहु न पलक सकात॥२॥
सोहम हंसा हंसा सोहम बार बार उलटाय।
सतगुरु पुरा भेद बतावे,निश्चय मन ठहरात॥३॥
जो जोगी जन ध्यान लगावे,उठ सदा प्रभात।
ब्रह्मानंद परम पद पावे,बहुरी जन्म नही आय॥૪॥
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