Thursday, 1 May 2025

आज विश्व मजदूर दिवस है ---

 आज विश्व मजदूर दिवस है।

.
आज एक मई को विश्व श्रम-दिवस है जिसे मजदूर-दिवस भी कहते हैं। १ मई १८८६ को अमेरिका के लाखों मजदूरों ने काम का समय ८ घंटे से अधिक न रखे जाने की मांग की और हड़ताल पर चले गये। वहाँ की पुलिस ने मज़दूरों पर गोली चलायी और ७ मजदूर मर गये। गए| तब से पूरी दुनियाँ में काम की अवधि ८ घंटे हो गई और इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय श्रम-दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
.
१ मई १९२३ को मद्रास (अब चेन्नई) में "भारतीय मज़दूर किसान पार्टी" के नेता कॉमरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने मद्रास हाईकोर्ट के सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया| तब से भारत में भी मजदूरों की माँगें मान ली गयीं, और इस दिवस को मान्यता मिल गयी।
.
कोई जमाना था, सभी पूर्व साम्यवादी देशों में १ मई की राष्ट्रीय छुट्टी होती थी| लोग एक-दूसरे को बधाई देते, खूब जमकर शराब पीते, मांसाहार करते, और खूब डांस करते थे| इस से अधिक उनके जीवन में कुछ था ही नहीं| यह उनके जीवन के लिए ऊँची से ऊँची चीज़ थी|
.
मार्क्सवाद वास्तव में विश्व को इंग्लैंड की देन है। अंग्रेज़ जाति विश्व की सबसे अधिक धूर्त जाति है। पूरे विश्व के सबसे अधिक खुराफ़ाती लोगों को इंग्लैंड अपने यहाँ शरण देकर रखता है| पूरे विश्व में खुराफात फैलाना ही उसकी नीति रही है| भारत के भी सारे अपराधी इंग्लैंड ही भागते हैं, और इंग्लैंड उनको शरण देता है| मार्क्स को जर्मनी ने निकाल दिया था| उसने अपना सारा साहित्य इंगलेंड में रह कर वहाँ की सरकार के खर्चे से लिखा| उसका पूरा साहित्य अंग्रेजों ने लिखवाया और अपने खर्चे से पूरे विश्व में बंटवाया, लेकिन खुद अपने देश इंग्लैंड में उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ने दिया| रूस को बर्बाद करने के लिए इंग्लैंड ने ही लेनिन को वहाँ भेजा, अन्यथा लेनिन तो इंग्लैंड में शरण लिए हुए एक भगौड़ा था| भारत में भी साम्यवाद इंग्लैंड से आया| एम.एन.रॉय नाम का एक अंग्रेजों का दलाल भारतीय ही मार्क्सवाद का सिद्धान्त इंग्लैंड से भारत लाया था| मार्क्सवाद के बारे में बात करना आसमान की ओर मुंह करके थूकने के बराबर है, जो खुद पर ही गिरेगा| मार्क्स एक शैतान का पुजारी, और खुद भी एक असुर शैतान था| विश्व में मार्क्सवाद विश्व को पिछड़ा हुआ रखने के लिए अंग्रेजों के शैतानी दिमाग की उपज है|
.
कुल मिलाकर साम्यवाद एक धोखा ही था, उस से किसी की अंतर्रात्मा को शांति नहीं मिली| मार्क्स, लेनिन, स्टालिन, माओ, किम इल सुंग, फिडेल कास्त्रो, चे गुवेवारा, आदि किसी का भी जीवन देख लो, उनके जीवन में कुछ भी अनुकरणीय नहीं है| निजी जीवन में ये बहुत ही भ्रष्ट लोग थे।
.
एक दूसरी सोच भी है --
"तुलसी विलंब न कीजिये, भजिये नाम सुजान, जगत मजूरी देत है, क्यों राखें भगवान॥"
"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। जो जस करहि तासु फल चाखा॥"
"सकल पदारथ हैं जग मांही। कर्महीन नर पावत नाहीं॥"
यह एक दूसरा दृष्टिकोण है।
.
अंत में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की मंगलमय शुभ कामनाएँ| भगवान में हम सब एक हैं| दुनियाँ के बहकावे में न आयें और भगवान की उपासना करें| ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१ मई २०२५

No comments:

Post a Comment