Sunday, 10 November 2024

ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही दिवस का आरम्भ प्रभु श्रीराम के स्मरण और ध्यान से कीजिए। कुछ देर कीर्तन करें - -

 

🙏🌹🕉️🕉️🕉️🌹🙏 मंगलमय सुप्रभात !
ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही दिवस का आरम्भ प्रभु श्रीराम के स्मरण और ध्यान से कीजिए। कुछ देर कीर्तन करें - -
🙏🙏🙏 सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम। सीताराम राम राम सीताराम राम राम। सीताराम राम राम सीताराम राम राम - - - -
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अब पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह रखते हुए, ध्यान के आसन पर बैठकर साकार रूप में सर्वव्यापी भगवान श्रीराम का खूब देर तक ध्यान कीजिए। मेरूदण्ड उन्नत, ठु्ड्डी भूमि के समानांतर, और दृष्टिपथ भ्रूमध्य की ओर रहे। निराकार रूप में वे ज्योतिर्मय ब्रह्म हैं। साकार रूप में उनका ध्यान "रां" बीज मंत्र से करें, निराकार रूप में प्रणव से। स्वयं के अस्तित्व को उनमें पूरी तरह विलीन कर दें।
पूरे दिन उन्हें स्मृति में रखें। किसी भी तरह की कामना का जन्म न हो, केवल समर्पण का भाव और अभीप्सा हो। रात्रि को शयन से पूर्व तो अनिवार्य है। जब थोड़ा सा भी समय मिले, उनका ध्यान अजपा-जप द्वारा करें। किसी भी परिस्थिति में कुसंग का त्याग करें। साथ उन्हीं का करें जिनका आचरण और विचार सात्विक हों।
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आप का जीवन कृतार्थ हो। आप कृतकृत्य हों।।
ॐ तत्सत्!! ॐ ॐ ॐ!!
कृपा शंकर
४ अक्टूबर २०२४ .
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मंगलमय सुप्रभात ! ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही दिवस का आरम्भ प्रभु श्रीराम के पवित्र नाम-स्मरण और ध्यान से कीजिये।
🙏🙏🙏 मानसिक रुप से बोलिए मेरे साथ --
"जय श्रीराम" "जय श्रीराम" "जय श्रीराम"।
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अब ध्यान के आसन पर बैठकर साकार रूप में सर्वव्यापी भगवान श्रीराम का ध्यान कीजिए। मेरूदण्ड उन्नत, ठु्ड्डी भूमि के समानांतर, दृष्टि भ्रूमध्य में रहे।
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आज नवरात्रों का आरंभ है। शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कीजिए। शास्त्रोक्त विधि से अपनी गुरु-परम्परानुसार भगवती की उपासना कीजिए। आप का जीवन कृतार्थ हो। आप कृतकृत्य हों।। ॐ तत्सत्!! ॐ ॐ ॐ!!
कृपा शंकर
३ अक्टूबर २०२४

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