Sunday, 10 November 2024

रूस व यूक्रेन के बीच का युद्ध और क्रीमिया

 

मैं रूस व यूक्रेन के युद्ध और क्रीमिया के इतिहास पर कुछ लिखना चाहता था, लेकिन पाया कि यह पागलपन के सिवाय कुछ भी नहीं है। अमेरिका और इंग्लैंड अपने काम से काम काम रखें और यहाँ हस्तक्षेप न करें तो यह युद्ध उसी दिन रुक जाएगा। अमेरिका और इंग्लैंड दोनों यह चाहते हैं कि रूस का पराभव हो जाये और उसके संसाधनों को वे लूट लें।
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रूस को यह युद्ध छेड़ने को तब बाध्य किया गया जब अमेरिका व इंग्लैंड द्वारा प्रशिक्षित यूक्रेन की नात्सी अजोव बटालियन ने यूक्रेन के रूसी भाषी नागरिकों का नर-संहार आरंभ कर दिया। छोटे छोटे माँ का दूध पीते रूसी बच्चों की भी हत्या की गई। यूक्रेन में अनेक जैविक प्रयोगशालाएँ खोली गईं जहाँ ऐसे जैविक अस्त्र बनाने का प्रयोग चल रहा था, जिनसे रूस में अनेक तरह की बीमारियाँ फैला कर रूस को नष्ट किया जा सके। रूस ने वे प्रयोगशालाएँ अब तो नष्ट कर दी हैं। अमेरिका की जनता को पता नहीं चले इसलिए रूस के समाचार माध्यमों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। भारत की समाचार चैनलें बिकी हुई हैं, और अमेरिका प्रायोजित समाचार देती हैं।
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यह युद्ध अमेरिका और इंग्लैंड मिल कर रूस के विरुद्ध लड़ रहे हैं, यूक्रेन तो एक मोहरा मात्र है, उसे कुछ नहीं मिलना है। यूक्रेन की सरकार अपने आदमियों को मरवा रही है और अपने देश को नष्ट करा दिया है। वहाँ के निर्वाचित राष्ट्रपति विक्टर फेदोरोविच यानुकोवुच की हत्या का अमेरिका और इंग्लैंड ने अनेक बार प्रयास किया और भाग कर उन्हें रूस में शरण लेनी पड़ी।
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क्रीमिया पर अनेक देशों का अधिकार रहा है, लेकिन वहाँ रह रहे लोगों की हत्या के उपरांत मंगोल मूल के तुर्क तातार मुसलमानों के कबीले वहाँ बस गए थे। यह क्षेत्र सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) का भाग था, जिससे छीन कर रूस ने इस पर अपना अधिकार कर लिया था। इस पर इंग्लैंड, फ़्रांस और तुर्की ने मिलकर रूस से युद्ध भी किया था (क्रीमिया वार) जिसमें उनको कोई सफलता नहीं मिली। द्वितीय विश्व युद्ध में आक्रमणकारी जर्मन सेना का स्वागत तातार मुसलमानों ने किया था जिस से नाराज होकर स्टालिन ने तातार मुसलमानों को वहाँ से हटाकर रूस की मुख्य भूमि में बसा दिया और उनको 'तातारिस्तान' नाम का एक गणराज्य भी बना कर दे दिया। क्रीमीया में अब लगभग ९० प्रतिशत से अधिक जनसंख्या रूसी भाषियों की है।
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स्टालिन जैसे रूसी नहीं था, जोर्जियन था। वैसे ही बाद में बने सोवियत संघ के राष्ट्रपति ख्रुश्चेव एक यूक्रेनियन थे। उन्होने क्रीमिया यूक्रेन को दे दिया था। दोनेत्स्क और लुजांस्क भी यूक्रेन के रूसी भाषी क्षेत्र थे, जिन पर क्रीमीया सहित अब रूस ने अपने नागरिकों की रक्षा के लिए बापस अपना अधिकार कर लिया है।
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एक ही बात को बार-बार लिखने का धैर्य और ऊर्जा मुझमें नहीं है। यह बेकार का फालतू विषय है। यह संसार भगवती चला रही हैं। उनकी इच्छा, अपने संसार को वे कैसे चलायें। अब इस विषय पर और नहीं लिखना चाहता।
कृपा शंकर
४ नवंबर २०२४

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