Tuesday, 18 March 2025

सहस्त्रार में ज्योतिर्मय-ब्रह्म का ध्यान ---

 सहस्त्रार में ज्योतिर्मय-ब्रह्म का ध्यान -- गुरु-चरणों का ध्यान है| सहस्त्रार में स्थिति -- गुरु-चरणों में आश्रय है| मेरी हर साँस -- मेरे और परमात्मा के मध्य में एक कड़ी (Link) है| इन साँसों ने ही मुझे परमात्मा से जोड़ रखा है| मुझे निमित्त बनाकर भगवान स्वयं, इस देह के माध्यम से साँस ले रहे हैं| हर साँस के साथ साथ सुषुम्ना में जो प्राण-तत्व प्रवाहित हो रहा है, वह मुझे परमात्मा की ओर निरंतर धकेल रहा है| मेरे लिए कूटस्थ में ध्यान ही वेदपाठ है|

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मेरा विलय गुरु महाराज में हो गया है| वे मुझ से पृथक नहीं हैं| यह कूटस्थ सूर्यमंडल ही मेरा सर्वस्व है, जिसमें मैं मेरे परमप्रिय परमशिव के साथ एक हूँ|
ॐ तत्सत || ॐ स्वस्ति || ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२० मार्च २०२१

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