भगवान की पकड़ बड़ी मजबूत होती है। प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में नींद से उठते ही यदि वे पकड़ते हैं तो उल्लास मनाकर उनका स्वागत कीजिये और भाग्यशाली मानते हुए स्वयं को उनके हाथों में सौंप दीजिये। कई बार हम भगवान की चेतना में उठते हैं, वह दिन बड़ा शुभ होता है। उठते ही उनके नाम का कीर्तन और ध्यान कीजिये।
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भगवान "हैं" -- इसी समय, सर्वदा, यहीं पर और सर्वत्र वे हैं। इस "हैं" शब्द मे ही वे छिपे हुये हैं। यह कोई बुद्धि का विषय नहीं है, इसलिए अधिक लिखने से कोई लाभ नहीं है। आगे की बात स्वयं समझ में आ जाएगी। थोड़ी भक्ति और समर्पण का भाव चाहिए, अन्य कुछ भी नहीं। रात्रि को सोने से पहिले उनका नामजप स्मरण/कीर्तन और ध्यान कर के सोयें। पूरे दिन उन्हें अपनी स्मृति में रखें। हरिः ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१८ मार्च २०२५
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