Saturday, 19 October 2019

परमात्मा भी एक अनुभूति हैं .....

"जगन्माता" एक अनुभूति है, "परमशिव" भी एक अनुभूति है, "गुरु-तत्व" भी एक अनुभूति है, ये सब परमात्मा की परम कृपा से ही समझ में आते हैं, अन्यथा नहीं| परमात्मा भी एक अनुभूति हैं, अन्यथा शास्त्र ही प्रमाण हैं|
"सोइ जानहि जेहि देहु जनाई, जानत तुमहिं तुमहि हुई जाई।"
"धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायाम् |
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भगवान से परमप्रेम करें| गीता का स्वाध्याय करें| अपनी चेतना को उत्तरा-सुषुम्ना में रखें| कुसंग का सदा त्याग करें, और परमात्मा का निरंतर सत्संग करें| यही सन्मार्ग है|
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अपनी श्रद्धा, विश्वास और आस्था को विचलित न होने दें, क्योंकि श्रद्धावान को ही शांति मिलती है| भगवान कहते हैं .....
"श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः| ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति||४:३९||
अर्थात श्रद्धावान् तत्पर और जितेन्द्रिय पुरुष ज्ञान प्राप्त करता है| ज्ञान को प्राप्त करके शीघ्र ही वह परम शान्ति को प्राप्त होता है||
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१९ अक्टूबर २०१९

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