Saturday, 19 October 2019

एक वृक्ष में "धर्म" और "मोक्ष" नाम के दो पुष्प और फल ....

एक वृक्ष है जिसमें "धर्म" और "मोक्ष" नाम के दो पुष्प और फल हैं| महाभारत के अनुसार वह वृक्ष भारतवर्ष है| भारत का प्राण "धर्म" है| इस "धर्म" पर आघात इस मानवता का नाश कर देगा| यह "धर्म" नहीं रहा तो सभी मनुष्य आपस में लड़कर ही समाप्त हो जायेंगे|
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संसार में कुछ भी नि:शुल्क नहीं है| हर चीज का मुल्य चुकाना होता है| एक दीपक पहले स्वयं जलता है तब जाकर उसका प्रकाश औरों को मिलता है| दीपक पहले अपने आप को जलाता है, उसके बाद ही पतंगे उस की लौ से प्रेम करते हैं|
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लोगों से मित्रता की कामना ..... निजात्मा की परमात्मा को पाने की अभीप्सा की एक अभिव्यक्ति है| सांसारिक लोगों से अत्यधिक घनिष्ठता अंततः वितृष्णा यानि घृणा को जन्म देती है| अत्यधिक घनिष्ठता से अंततः निराशा ही मिलती है| मित्रता वहीं सफल होती है जहाँ मित्रता का आधार परमात्मा के प्रति प्रेम होता है| अन्य आधार बेचैनी और असंतोष को जन्म देते हैं| वास्तव में हमारा सच्चा और एकमात्र मित्र परमात्मा ही है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ अक्तूबर २०१९

1 comment:

  1. भारत विजयी होगा, निश्चित रूप से होगा .....

    भारत वह आध्यात्मिक शक्ति है जो असत्य और अंधकार के विरुद्ध निरंतर संघर्ष कर रही है| भारत का प्राण "धर्म" है, जिस पर आघात सम्पूर्ण मानवता का नाश कर देगा| "धर्म" नहीं रहा तो सारे मनुष्य आपस में लड़कर ही समाप्त हो जायेंगे| भारत ही "धर्म" और "मोक्ष" है क्योंकि परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ और सर्वाधिक अभिव्यक्ति भारत में ही हुई है| भारत सनातन है और सनातन ही भारत है| भारत विजयी होकर अपने द्विगुणित परम वैभव के साथ अपने गौरवमय अखंड सिंहासन पर पुनश्च बिराजमान होगा|
    भारत माता की जय !

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