सभी को शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभ कामनाएँ .....
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जगन्माता माँ दुर्गा हम सब को बल, बुद्धि, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता और आत्मज्ञान प्रदान करे, हमें जगन्माता का पूर्ण प्रेम मिले, अनन्य अव्यभिचारिणी भक्ति हमारे में व्यक्त हो, हमें आत्मज्ञान प्राप्त हो|
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नवरात्रों के बारे में विशेष ज्ञान तो मार्कंडेय-पुराण व देवी-भागवत जैसे ग्रंथों में मिलेगा, पर इनका थोड़ा-बहुत ज्ञान तो भारतीय संस्कृति में सभी को है| भगवान माता भी है और पिता भी| मातृरूप में मुख्यतः दुर्गा देवी की आराधना की जाती है, जिन का प्राकट्य तीन रूपों .... महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती के रूपों में है| नवरात्रों में हम माता के इन तीनों रूपों की आराधना उन की प्रीति के लिए करते हैं|
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महाकाली की आराधना से हमारे अंतर की विकृतियों और दुष्ट वृत्तियों का नाश होता है| माँ दुर्गा का एक नाम है महिषासुर-मर्दिनी है| महिष का अर्थ होता है ... भैंसा, जो तमोगुण का प्रतीक है| आलस्य, अज्ञान, जड़ता और अविवेक ये तमोगुण के प्रतीक हैं| महिषासुर वध हमारे भीतर के तमोगुण के विनाश का प्रतीक है|
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ध्यानस्थ होने के लिए अंतःकरण का शुद्ध होना आवश्यक होता है जो महालक्ष्मी की कृपा से होता है| सच्चा ऐश्वर्य है आतंरिक समृद्धि| हमारे में सद्गुण होंगे तभी हम भौतिक समृद्धि को सुरक्षित रख सकते हैं| हमारे में सभी सद्गुण आयें इसके लिए महालक्ष्मी की साधना की जाती है|
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आत्मा का ज्ञान ही ज्ञान है| इस आत्मज्ञान को महासरस्वती प्रदान करती हैं|
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महाविद्याओं के साधक नवरात्रों में महाविद्या की साधना करते हैं, और भगवान श्रीराम व हनुमान जी के उपासक इनमें भगवान श्रीराम व हनुमान जी की उपासना करते हैं|
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अपने स्वभाव के अनुकूल जैसी भी जो भी साधना आप करना चाहें वह करें, पर करें अवश्य |
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ सितंबर २०१९
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जगन्माता माँ दुर्गा हम सब को बल, बुद्धि, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता और आत्मज्ञान प्रदान करे, हमें जगन्माता का पूर्ण प्रेम मिले, अनन्य अव्यभिचारिणी भक्ति हमारे में व्यक्त हो, हमें आत्मज्ञान प्राप्त हो|
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नवरात्रों के बारे में विशेष ज्ञान तो मार्कंडेय-पुराण व देवी-भागवत जैसे ग्रंथों में मिलेगा, पर इनका थोड़ा-बहुत ज्ञान तो भारतीय संस्कृति में सभी को है| भगवान माता भी है और पिता भी| मातृरूप में मुख्यतः दुर्गा देवी की आराधना की जाती है, जिन का प्राकट्य तीन रूपों .... महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती के रूपों में है| नवरात्रों में हम माता के इन तीनों रूपों की आराधना उन की प्रीति के लिए करते हैं|
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महाकाली की आराधना से हमारे अंतर की विकृतियों और दुष्ट वृत्तियों का नाश होता है| माँ दुर्गा का एक नाम है महिषासुर-मर्दिनी है| महिष का अर्थ होता है ... भैंसा, जो तमोगुण का प्रतीक है| आलस्य, अज्ञान, जड़ता और अविवेक ये तमोगुण के प्रतीक हैं| महिषासुर वध हमारे भीतर के तमोगुण के विनाश का प्रतीक है|
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ध्यानस्थ होने के लिए अंतःकरण का शुद्ध होना आवश्यक होता है जो महालक्ष्मी की कृपा से होता है| सच्चा ऐश्वर्य है आतंरिक समृद्धि| हमारे में सद्गुण होंगे तभी हम भौतिक समृद्धि को सुरक्षित रख सकते हैं| हमारे में सभी सद्गुण आयें इसके लिए महालक्ष्मी की साधना की जाती है|
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आत्मा का ज्ञान ही ज्ञान है| इस आत्मज्ञान को महासरस्वती प्रदान करती हैं|
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महाविद्याओं के साधक नवरात्रों में महाविद्या की साधना करते हैं, और भगवान श्रीराम व हनुमान जी के उपासक इनमें भगवान श्रीराम व हनुमान जी की उपासना करते हैं|
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अपने स्वभाव के अनुकूल जैसी भी जो भी साधना आप करना चाहें वह करें, पर करें अवश्य |
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ सितंबर २०१९
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