Saturday, 19 October 2019

जगन्माता की उपासना किस रूप में करें? ....

जगन्माता की उपासना किस रूप में करें?
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सारे नाम-रूप, सम्पूर्ण अस्तित्व, साकार और निराकार वे ही हैं| वे ही दसों दिशायें हैं, वे ही प्राण और आकाश तत्व हैं| वे ही सोम हैं, वे ही अग्नि हैं, वे ही कूटस्थ स्वरूपा गुरु-तत्व और परमेश्वरी हैं| शब्द-ब्रह्म व वाक् भी वे ही हैं, वे ही बैखरी, मध्यमा, पश्यंती और परा हैं| वे ही ज्योतिषांज्योति और समस्त ज्ञान हैं| वे ही पूर्णत्व हैं, प्रणव रूप में वे ही इस अकिंचन के माध्यम से स्वयं का ध्यान कर रही हैं| यह अकिंचन भी वे ही हैं जिसका चित्त ही जगन्माता के अति कोमल चरण-युगलों की चरण-पादुका है; जिसे पहिन कर ही वे अपनी इस अनंत सृष्टि में विहार कर रही हैं| हमें अपना "निमित्त" बना कर जगन्माता ने हम सब पर बड़ी कृपा की है| जिस ने हमें आलोकित कर रखा है, वह जगन्माता का सौन्दर्य ही वास्तविक सौंदर्य है, जिसके आलोक में कोई भी असत्य रूपी अन्धकार नहीं टिक सकता| प्रेम ही उनका स्वभाव है, जो हमें आनंदमय बनाता है| हमारा जीवन मंगलमय हो, हम सत्यनिष्ठ, स्वस्थ, वीर व अकुटिल हों| हम जीव से शिव बनें, हमारा कल्याण हो|
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते| पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते||
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः|| ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ अक्तूबर २०१९

1 comment:

  1. मेरा चित्त ही जगन्माता के अति कोमल चरण-युगलों की चरण-पादुका है,
    जिसे पहिन कर ही वे अपनी अनंत सृष्टि में विहार कर रही हैं.
    ॐ ॐ ॐ

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