Saturday, 19 October 2019

साधना का संहार-क्रम और विस्तार-क्रम व इन से भी परे जो कुछ भी है :---

साधना का संहार-क्रम और विस्तार-क्रम व इन से भी परे जो कुछ भी है :---
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यह संसार हमारे विचारों से ही निर्मित है| जैसे हमारे विचार होते हैं, वैसा ही संसार हमारे लिए सृजित हो जाता है| हमारी कामनायें ही इस सृष्टि को सृजित कर रही हैं| इस विषय का ज्ञान सभी साधकों को होना चाहिए कि हम चाहते क्या हैं| हम संसार को चाहते हैं, या भगवान को चाहते हैं, या दोनों को चाहते हैं| अन्यथा स्थिति बड़ी विकट हो जाती है|
(१) संहार-क्रम की साधना परिधि से केंद्र की ओर जाने की साधना यानि मोक्ष की साधना है| इसमें संसार से प्रेम कम होते होते सिर्फ भगवान से ही रह जाता है| ऐसे लोगों को वैराग्य हो जाता है और वे घर-गृहस्थी के योग्य नहीं रहते| गृहस्थी में उनके घर के सदस्य उनसे बहुत अधिक दुःखी हो जाते हैं| ऐसे लोगों के लिए सन्यास की व्यवस्था है, उनको घर-गृहस्थी में नहीं रहना चाहिए|
(२) विस्तार-क्रम की साधना सांसारिक लाभ यानि भौतिक समृद्धि की साधना है, जिस में हम केंद्र से परिधि की ओर जाते हैं| इस से सारे सांसारिक लाभ मिलते हैं, लेकिन मोक्ष नहीं|
(३) एक है दोनों की यानि समग्रता की साधना जिसके बारे में साधक की मानसिक स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए कि वह क्या चाहता है| कोई झूठ-पाखंड नहीं होना चाहिए क्योंकि भगवान कहते हैं .... "मोहि कपट छल छिद्र न भावा"| हम जब कहते हैं .... "तेरा तुझको अर्पण", तो जो कुछ भी है वह बापस भगवान को ही चला जाएगा| यदि हम कहते हैं .... "धऩं देहि,बलं देहि, रूपं देहि" तो धन, बल और रूप तो मिलेगा पर मोक्ष नहीं|
यदि हम अपनी चेतना का विस्तार कर के परमात्मा की समग्रता का ध्यान करेंगे तो परमात्मा की समग्रता मिलेगी, कोई क्षुद्रता नहीं रहेगी| यही सर्वश्रेष्ठ साधना है| जो कुछ भी भगवान का है उस पर हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, क्योंकि हम परमात्मा के अमृतपुत्र हैं| भगवान भी हमारे हैं, उन पर भी हमारा पूर्ण अधिकार है| हम उन को समर्पित हों| हम उनके साथ एक हैं|
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ज्ञान से भी परे की निश्चित रूप से एक अवस्था है, जो हमें प्राप्त हो| हमारा एक सच्चिदानंदमय परमशिव रूप है जो हमें प्राप्त हो| शिवोहम् शिवोहम् अहं ब्रह्मास्मि ||
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जीसस क्राइस्ट का एक बहुत ही शानदार उपदेश है .....
"Whoever has will be given more, and he will have an abundance. Whoever does not have, even what he has will be taken away from him." (Matthew 13:12)
अर्थात जिसके पास है, उसे और भी अधिक दिया जाएगा, उसके पास सब कुछ होगा| पर जिसके पास नहीं है, उस से वह सब भी छीन लिया जाएगा जो कुछ भी उसके पास है|
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इस लेख में मैंने अपने विचार व्यक्त किए हैं| जिनसे मेरे विचार नहीं मिलते वे मुझ अज्ञानी को क्षमा करें| मैं जिस की खोज में हूँ वह ज्ञान और अज्ञान से परे की अवस्था है| मैं अपने विचारों पर दृढ़ हूँ जो बदल नहीं सकते|
ॐ तत्सत् ! शिवोहम् शिवोहम् अहं ब्रह्मास्मि ! अयमात्मा ब्रह्म ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
११ अक्टूबर २०१९

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