समस्याएँ मन में हैं या परिस्थितियों में ? ...
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एकांत और मौन में ध्यानस्थ होकर हम अपनी सभी शाश्वत जिज्ञासाओं का उत्तर पा सकते हैं| बाहर कोई कमी दिखती है तो परमात्मा की पूर्णता पर ध्यान करें| आत्मा की पूर्णता पर ही बाहर की पूर्णता निर्भर है| परमात्मा को भूलने से बड़ी पीड़ा कोई दूसरी नहीं है| उनकी निरंतर स्मृति से बड़ा कोई आनंद दूसरा नहीं है| जो परिवर्तन हम बाहरी विश्व में चाहते हैं वह स्वयं से आरम्भ करें. आत्मनिंदा से हम अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ अक्टूबर २०१९
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एकांत और मौन में ध्यानस्थ होकर हम अपनी सभी शाश्वत जिज्ञासाओं का उत्तर पा सकते हैं| बाहर कोई कमी दिखती है तो परमात्मा की पूर्णता पर ध्यान करें| आत्मा की पूर्णता पर ही बाहर की पूर्णता निर्भर है| परमात्मा को भूलने से बड़ी पीड़ा कोई दूसरी नहीं है| उनकी निरंतर स्मृति से बड़ा कोई आनंद दूसरा नहीं है| जो परिवर्तन हम बाहरी विश्व में चाहते हैं वह स्वयं से आरम्भ करें. आत्मनिंदा से हम अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ अक्टूबर २०१९
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