Saturday, 19 October 2019

विजयदशमी की शुभ कामनाएँ, बधाई और अभिनंदन ....

विजयदशमी की शुभ कामनाएँ, बधाई और अभिनंदन ....
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हमारे भीतर का रावण अभी तक मरा नहीं है| वह भीतर का रावण ही अनेक सद्गुण-विकृतियों के रूप में जीवित है| स्वयं राममय होकर ही हम इस रावण को मार सकते हैं| हमारे अंतर में असत्य और अन्धकार की शक्तियों से एक युद्ध निरंतर चल रहा है, इस युद्ध में हमें विजयी बनना है| ये अंधकार और असत्य की शक्तियाँ ही रावण हैं| जब से सृष्टि बनी है तब से आज तक बाहरी युद्धों को भी कोई नहीं रोक पाया है| लगता है कि जीवन में युद्ध अपरिहार्य है|
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भारत में युद्ध करने के लिए एक पृथक क्षत्रिय वर्ण का निर्माण कर दिया गया जिनका कार्य ही दूसरों को क्षति से त्राण दिलाना, यानी समाज और राष्ट्र की रक्षा हेतु युद्ध करना था| धर्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा के लिए सभी युद्ध करते थे सिर्फ क्षत्रिय ही नहीं| कालान्तर में एक "सद्गुण विकृति" आ गयी और यह मान लिया गया कि युद्ध करना सिर्फ क्षत्रिय का ही कार्य है, अन्य वर्णों का नहीं| यह सद्गुण विकृति ही भारत के पराभव और दासता का कारण बनी| भारत पर जितने आक्रमण हुए हैं उनका दस-लाखवाँ प्रहार भी किसी अन्य संस्कृति पर हुआ तो वह संस्कृति नष्ट हो गई| भारतवर्ष इन प्रहारों को सहन करता हुआ आज भी जीवित है| समाज के सभी वर्ण यदि एकजूट होकर आतताइयों का सामना क्षत्रियों के साथ मिल कर करते तो भारत कभी पराभूत नहीं होता|
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युद्धभूमि में ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ प्रकट होता है| युद्धभूमि में ही गीता का ब्रह्मज्ञान व्यक्त हुआ| वह युद्ध जो हमारे अंतर में निरंतर चल रहा है .... असत्य और अन्धकार की शक्तियों से, उस युद्ध में हमें विजयी बनना है| यही विजयदशमी का संदेश है| ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ अक्तूबर २०१९

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