Thursday, 5 September 2019

देवताओं को शक्ति हमारे द्वारा ही मिलती है .....

देवताओं को शक्ति हमारे द्वारा ही मिलती है .....
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गीता में भगवान कहते हैं .....
"देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः| परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ||३:११||"
अर्थात तुम लोग इस यज्ञ द्वारा देवताओं की उन्नति करो और वे देवतागण तुम्हारी उन्नति करें| इस प्रकार परस्पर उन्नति करते हुये परम श्रेय को तुम प्राप्त होंगे||
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हम लोग देवताओं से याचना करते हैं, पर यह भूल जाते हैं कि देवताओं को कुछ देने की शक्ति भी तो हमें ही उन्हें हवन द्वारा प्रदान करनी पड़ती है| हवन के लिए शुद्ध सामग्री और देशी नस्ल की गाय का घी चाहिए| बिलायती गायों के दूध से या भैंस के दूध से निर्मित घी से, या वनस्पति घी से हवन सफल नहीं हो सकते| देवताओं के पास कुछ भी देने की शक्ति तभी आएगी जब हम हवन द्वारा अग्नि के मुख से घी से मिश्रित चरू देवताओं को अर्पण करेंगे| उस उत्तम हविष्य से देवता बलिष्ट एवं पुष्ट होते हैं| जब देवता शक्तिशाली होगा तभी तो अपनी शक्ति के बल पर आपकी-हमारी मनोकामना पूरी करने मे समर्थ होगा| जब गौवंश ही नहीं रहेगा तो शुद्ध गौ घृत कहाँ से आएगा? और शुद्ध गौ घृत नहीं होगा तो हवन कहाँ से होगा और हवन नहीं होंगे तो देवता पुष्ट कैसे होंगे और देवता पुष्ट नहीं होंगे तो शक्तिहीन देवता मनोकामनाएं पूर्ण कैसे करेंगे?
१७ अगस्त २०१९

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