हम अपने देश भारत की जी-जान से रक्षा करें .....
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जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी| अब हमें अपने देश भारतवर्ष की अस्मिता की रक्षा की ही सोचनी चाहिए| देश १५ अगस्त १९४७ के दिन स्वतंत्र हुआ यह एक झूठ और भ्रम है| देश को अँगरेज़ लोग एक परम गुप्त सत्ता हस्तान्तरण समझौते के अंतर्गत छोड़कर गए थे जो इंग्लैंड से ही छपकर आया था| उसकी कोई प्रति भारत में नहीं छपी| भारत की जनता को आज तक नहीं पता कि वह क्या समझौता था| फिर अंग्रेज़ लोग इस देश को काले अंग्रेजों के हाथों ही सौंप गए| अंग्रेजों के बनाये कानून ही आज लागू हैं| आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों को बापस सेना में नहीं लिया गया| नेताजी को युद्धबंदी के रूप में इंग्लैंड को सौंपने की शर्त भी थी उस समझौते में| अंग्रेजी भाषा, अंग्रेजी शिक्षा पद्धति और व्यवस्था वैसे ही लागू है|
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अँगरेज़ तो १९४२ में ही अपनी ही अपमानजनक शर्तों पर भारत छोड़ने को तैयार थे| १९४७ में अँगरेज़ भारत छोड़ने को इसलिए बाध्य हुए क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात इंग्लैंड आर्थिक और सैनिक रूप से जर्जर हो गया था और भारत के सैनिकों ने अँगरेज़ अफसरों के आदेश मानने बंद कर दिए थे, उन्हें सलाम करना भी बंद कर दिया था| १९४६ में भारतीय ब्रिटिश नौसेना ने बम्बई में विद्रोह कर दिया और अँगरेज़ अधिकारियों को कोलाबा में बंद कर उनके चारों ओर बारूद लगा दी थी| मुंबई की पूरी जनता नौसैनिकों के समर्थन में आ गई थी| ब्रिटेन के प्रधान मंत्री एटली ने भी वहाँ की संसद में भारत छोड़ने का यही कारण माना था कि हिन्दुस्तानी भाड़े के सिपाही अब अंग्रेज़ अफसरों का आदेश नहीं मानते और अंग्रेज़ सेना में इतना सामर्थ्य नहीं बचा है कि वह उन्हें दबा सके|
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फिर यह तथाकथित आज़ादी किस कीमत पर मिली? देश की दोनों भुजाओं को पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के नाम पर काट दिया गया| भारत का मुकुट कश्मीर आधा कटवा दिया गया| लाखों हिन्दुओं की हत्याएँ हुईं| करोड़ों को घर छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी| पाकिस्तान से लाशों से भरी हुई रेलगाड़ियाँ भेटस्वरुप भेजी गईं| लाखों महिलाओं के अंगभंग और बलात्कार किये गए| जिस समय तथाकथित आज़ादी का जश्न मनाया जा रहा था, उस समय लाखों लोग अपना सब कुछ लुटवा कर अपनी धर्मरक्षा के लिए खंडित भारत में शरण लेने आ रहे थे| यह आज़ादी हिन्दुओं के साथ धोखा थी| गोरे अँगरेज़ गए तो काले अंग्रेज आ गए| आज १५ अगस्त को सत्ता हस्तान्तरण दिवस (तथाकथित स्वतंत्रता दिवस) पर हमारी प्रार्थना है कि वह समझौता सार्वजनिक हो जिस के अंतर्गत १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों द्वारा काँग्रेस को सत्ता हस्तांतरित हुई थी|
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भारत विभाजन की प्रक्रिया में जिन हिन्दुओ का सब कुछ लूटा गया, जो नरसंहार व अमानवीय अत्याचारों में मारे गये, जिन्होंने अपने प्राण दे दिये पर धर्मांतरण स्वीकार नहीं किया उन बलिदानी वीर परिवारो का हम विस्मरण नहीं करें| उन लाखों व्यक्तियों को नमन जो अपना सब कुछ लुटा कर केवल हिन्दुत्व की रक्षा के लिए खंडित भारत में शरणार्थी बन कर आये और यहाँ उपेक्षा का दुःख सहा| उन सब का आभार और शतशः अभिनंदन ! धन्यवाद ! उन लाखों माँ बहिनों को भी श्रद्धांजली जिन पर अवर्णनीय जुल्म हुए और जिन्होंने इन जुल्मों से बचने के लिए मृत्यु को गले लगा लिया|
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भारत की रक्षा हो ! भारत विजयी हो ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ अगस्त २०१९
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जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी| अब हमें अपने देश भारतवर्ष की अस्मिता की रक्षा की ही सोचनी चाहिए| देश १५ अगस्त १९४७ के दिन स्वतंत्र हुआ यह एक झूठ और भ्रम है| देश को अँगरेज़ लोग एक परम गुप्त सत्ता हस्तान्तरण समझौते के अंतर्गत छोड़कर गए थे जो इंग्लैंड से ही छपकर आया था| उसकी कोई प्रति भारत में नहीं छपी| भारत की जनता को आज तक नहीं पता कि वह क्या समझौता था| फिर अंग्रेज़ लोग इस देश को काले अंग्रेजों के हाथों ही सौंप गए| अंग्रेजों के बनाये कानून ही आज लागू हैं| आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों को बापस सेना में नहीं लिया गया| नेताजी को युद्धबंदी के रूप में इंग्लैंड को सौंपने की शर्त भी थी उस समझौते में| अंग्रेजी भाषा, अंग्रेजी शिक्षा पद्धति और व्यवस्था वैसे ही लागू है|
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अँगरेज़ तो १९४२ में ही अपनी ही अपमानजनक शर्तों पर भारत छोड़ने को तैयार थे| १९४७ में अँगरेज़ भारत छोड़ने को इसलिए बाध्य हुए क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात इंग्लैंड आर्थिक और सैनिक रूप से जर्जर हो गया था और भारत के सैनिकों ने अँगरेज़ अफसरों के आदेश मानने बंद कर दिए थे, उन्हें सलाम करना भी बंद कर दिया था| १९४६ में भारतीय ब्रिटिश नौसेना ने बम्बई में विद्रोह कर दिया और अँगरेज़ अधिकारियों को कोलाबा में बंद कर उनके चारों ओर बारूद लगा दी थी| मुंबई की पूरी जनता नौसैनिकों के समर्थन में आ गई थी| ब्रिटेन के प्रधान मंत्री एटली ने भी वहाँ की संसद में भारत छोड़ने का यही कारण माना था कि हिन्दुस्तानी भाड़े के सिपाही अब अंग्रेज़ अफसरों का आदेश नहीं मानते और अंग्रेज़ सेना में इतना सामर्थ्य नहीं बचा है कि वह उन्हें दबा सके|
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फिर यह तथाकथित आज़ादी किस कीमत पर मिली? देश की दोनों भुजाओं को पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के नाम पर काट दिया गया| भारत का मुकुट कश्मीर आधा कटवा दिया गया| लाखों हिन्दुओं की हत्याएँ हुईं| करोड़ों को घर छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी| पाकिस्तान से लाशों से भरी हुई रेलगाड़ियाँ भेटस्वरुप भेजी गईं| लाखों महिलाओं के अंगभंग और बलात्कार किये गए| जिस समय तथाकथित आज़ादी का जश्न मनाया जा रहा था, उस समय लाखों लोग अपना सब कुछ लुटवा कर अपनी धर्मरक्षा के लिए खंडित भारत में शरण लेने आ रहे थे| यह आज़ादी हिन्दुओं के साथ धोखा थी| गोरे अँगरेज़ गए तो काले अंग्रेज आ गए| आज १५ अगस्त को सत्ता हस्तान्तरण दिवस (तथाकथित स्वतंत्रता दिवस) पर हमारी प्रार्थना है कि वह समझौता सार्वजनिक हो जिस के अंतर्गत १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों द्वारा काँग्रेस को सत्ता हस्तांतरित हुई थी|
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भारत विभाजन की प्रक्रिया में जिन हिन्दुओ का सब कुछ लूटा गया, जो नरसंहार व अमानवीय अत्याचारों में मारे गये, जिन्होंने अपने प्राण दे दिये पर धर्मांतरण स्वीकार नहीं किया उन बलिदानी वीर परिवारो का हम विस्मरण नहीं करें| उन लाखों व्यक्तियों को नमन जो अपना सब कुछ लुटा कर केवल हिन्दुत्व की रक्षा के लिए खंडित भारत में शरणार्थी बन कर आये और यहाँ उपेक्षा का दुःख सहा| उन सब का आभार और शतशः अभिनंदन ! धन्यवाद ! उन लाखों माँ बहिनों को भी श्रद्धांजली जिन पर अवर्णनीय जुल्म हुए और जिन्होंने इन जुल्मों से बचने के लिए मृत्यु को गले लगा लिया|
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भारत की रक्षा हो ! भारत विजयी हो ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ अगस्त २०१९
आज १५ अगस्त को महान क्रांतिवीर स्वतंत्रता सेनानी और महान योगी श्री अरविन्द घोष का जन्म दिवस है। वे चाहे भौतिक देह में न हों पर अमर हैं| उन्होनें पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया| वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी| योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे| उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं| वे एक कवि भी थे और आध्यात्मिक गुरु भी|
ReplyDeleteकोटि कोटि नमन ! कोटि कोटि प्रणाम !!
समष्टि का हित ही राष्ट्र और स्वयं का हित है.
ReplyDeleteभगवान हमारे हृदय में हैं.
जो सब के हित में है, वही वे हमें अपना उपकरण बना कर करेंगे.
हम तो निमित्त मात्र हैं.