आज भाद्रपद अमावस्या का दिन भक्ति और आस्था का संगम, व इस क्षेत्र के लिए एक विशेष दिन है .....
.
(१) आज राजस्थान के अरावली पर्वतमाला के मध्य में स्थित लोहार्गल तीर्थ से गोगा-नवमी को आरंभ हुई मालकेत बाबा की छः दिवसीय २४ कोसीय परिक्रमा बापस लोहार्गल तीर्थ में आकर सम्पन्न हो गई| यह परिक्रमा-पथ झुंझुनू और सीकर जिलों में पड़ता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं| आगे आगे वैष्णव संतों के नेतृत्व में ठाकुर जी की पालकी चलती है, और पीछे पीछे भजन-कीर्तन करते लाखों भक्त| मालकेत बाबा एक पर्वत का नाम है, क्षेत्र के लोग जिसकी आराधना भगवान विष्णु के रूप में करते हैं| इस पर्वत से सात स्थानों पर गोमुख से जल निकलता है और स्नान के लिए जलकुंड हैं| इसकी परिक्रमा २४ कोस की है| आज से लोहार्गल का वार्षिक लक्खी मेला भी आरंभ हो गया है|
.
(२) आज भाद्रपद अमावस्या के दिन इस क्षेत्र के सभी सती मंदिरों का विशेष आराधना दिवस भी है| मैं न तो सतीप्रथा का महिमामंडन कर रहा हूँ और न ही समर्थन| मैं इस तरह की किसी भी सती-प्रथा का विरोध करता हूँ|
.
(१) आज राजस्थान के अरावली पर्वतमाला के मध्य में स्थित लोहार्गल तीर्थ से गोगा-नवमी को आरंभ हुई मालकेत बाबा की छः दिवसीय २४ कोसीय परिक्रमा बापस लोहार्गल तीर्थ में आकर सम्पन्न हो गई| यह परिक्रमा-पथ झुंझुनू और सीकर जिलों में पड़ता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं| आगे आगे वैष्णव संतों के नेतृत्व में ठाकुर जी की पालकी चलती है, और पीछे पीछे भजन-कीर्तन करते लाखों भक्त| मालकेत बाबा एक पर्वत का नाम है, क्षेत्र के लोग जिसकी आराधना भगवान विष्णु के रूप में करते हैं| इस पर्वत से सात स्थानों पर गोमुख से जल निकलता है और स्नान के लिए जलकुंड हैं| इसकी परिक्रमा २४ कोस की है| आज से लोहार्गल का वार्षिक लक्खी मेला भी आरंभ हो गया है|
.
(२) आज भाद्रपद अमावस्या के दिन इस क्षेत्र के सभी सती मंदिरों का विशेष आराधना दिवस भी है| मैं न तो सतीप्रथा का महिमामंडन कर रहा हूँ और न ही समर्थन| मैं इस तरह की किसी भी सती-प्रथा का विरोध करता हूँ|
पर मेरा व्यक्तिगत रूप से यह मानना है कि भारत में सती-प्रथा कभी थी ही नहीं| हमें गलत इतिहास पढ़ाया जाता है| देश में आजादी के बाद यदि कोई सती हुईं तो वे अशिक्षा और अज्ञानता के कारण हुई थीं| हो सकता है वे पारिवारिक हत्याएं भी हों, जो गलत थीं| उनका विरोध सही है|
अंग्रेजों के समय जो सतीप्रथा चली वह उन्हीं क्षेत्रों में थीं जहाँ अंग्रेजों की सैनिक छावनियाँ थीं| अंग्रेज सिपाही अपने देश बापस जाने की जल्दी न करें इस लिए अंग्रेजों ने अपने सिपाहियों के लिए वेश्यालय खोले जिनमें वे बंदूक की नोक पर हिन्दू विधवाओं का अपहरण कर उन्हें बलात वेश्या बना देते थे| अतः परिवार के लोग उनको मारने लगे|
मुसलमानों के आक्रमण-काल में क्रूर और निर्दयी आक्रमणकारी, पराजित हिन्दू जाति की महिलाओं के साथ बहुत बुरा सलूक करते थे| अतः वे महिलाएँ अपने स्वाभिमान और पवित्रता की रक्षा के लिए जौहर कर लेतीं| वे वीराङ्गनायें थीं|
भारत में सती-प्रथा कभी थी ही नहीं, यह मेरा व्यक्तिगत मत है| इस विषय पर एक गहन ऐतिहासिक शोध की आवश्यकता है| मैं दुबारा लिख रहा हूँ कि मैं सती-प्रथा का विरोध करता हूँ| साथ साथ यह भी निवेदन करता हूँ कि सती-प्रथा वास्तव में कभी थी ही नहीं| हिंदुओं में हीन भावना भरने के लिए सती-प्रथा का झूठा इतिहास गढ़ा गया है|
.
(३) आज इस शरीर महाराज का ७२ वां जन्म-दिवस भी है| आप सब को मुझ अकिंचन का सप्रेम नमन !
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
३० अगस्त २०१९
.
(३) आज इस शरीर महाराज का ७२ वां जन्म-दिवस भी है| आप सब को मुझ अकिंचन का सप्रेम नमन !
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
३० अगस्त २०१९
No comments:
Post a Comment