Thursday, 5 September 2019

राखो लाज हरिः ...

राखो लाज हरिः ...
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मैं परमात्मा से प्रेम की बातें सदा करता हूँ, क्योंकि यह मेरा स्वभाव है; मैं इसे छोड़ नहीं सकता, चाहे मुझे यह शरीर ही छोड़ना पड़े| मेरे लिए तो यह मेरा जीवन है| मैं ऐसे किसी व्यक्ति का मुँह भी नहीं देखना चाहता जिसके हृदय में परमात्मा के लिए प्रेम नहीं है| किसी को मेरा यह स्वभाव पसंद नहीं है तो वे मुझे छोड़ने को स्वतंत्र हैं, मुझे उनकी कोई आवश्यकता नहीं है| परमात्मा की इच्छा से ही मैं इस देह में हूँ, जब भी उनकी इच्छा होगी वे बापस बुला लेंगे| मैं कोई परभक्षी या किसी पर भार नहीं हूँ, किसी से कुछ नहीं लेता, अपनी स्व-अर्जित पूंजी से ही अपना और अपने परिवार का निर्वाह करता हूँ| किसी का भी मैंने इस जीवन में कोई अहित नहीं किया है, और न ही कोई असत्य और अधर्म का कार्य किया है| परमात्मा की स्मृति में ही एक दिन यह मायावी विश्व छोड़कर चला जाऊँगा| मैं यह भी नहीं चाहता कि कोई मुझे याद करे| किसी को याद ही करना है तो परमात्मा को याद करें, मुझे नहीं|
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यह सृष्टि परमात्मा की है, वह अपनी सृष्टि को कैसे चलाए यह उसकी इच्छा| सारी सृष्टि प्रकृति के नियमानुसार ही चल रही है| नियमों को न जानना हमारी अज्ञानता है| जहाँ भी जैसी भी परिस्थिति में सृष्टिकर्ता ने हमें रखा है, उस परिस्थिति में जो भी सर्वश्रेष्ठ हम कर सकते हैं, वह हमें अवश्य ही करना चाहिए| हम कोई मंगते-भिखारी नहीं, परमात्मा के अमृतपुत्र हैं| हम कुछ माँग नहीं रहे हैं, पर उसका जो कुछ भी है उस पर तो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है| उसकी सर्वव्यापकता हमारी सर्व व्यापकता है, उसका आनंद हमारा आनंद है, उसका सर्वस्व हमारा है, उससे कम हमें कुछ भी नहीं चाहिये| एक पिता की संपत्ति पर पुत्र का अधिकार होता है, वैसे ही परमात्मा के प्रेम और उन की उसकी पूर्णता पर हमारा पूर्ण अधिकार है| हमारे हृदय में कभी कुटिलता और अहंकार का कण मात्र भी अंश न हो| सूरदास जी का यह भजन अनायास ही याद आता है .....
"तुम मेरी राखो लाज हरि
तुम जानत सब अन्तर्यामी
करनी कछु ना करी
तुम मेरी राखो लाज हरि
अवगुन मोसे बिसरत नाहिं
पलछिन घरी घरी
सब प्रपंच की पोट बाँधि कै
अपने सीस धरी
तुम मेरी राखो लाज हरि
दारा सुत धन मोह लिये हौं
सुध-बुध सब बिसरी
सूर पतित को बेगि उबारो
अब मोरि नाव भरी
तुम मेरी राखो लाज हरि
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परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति आप अब को मेरा नमन !
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ अगस्त २०१९

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