भारतवर्ष की पहिचान गीता, रामायण, श्रुतियों, आगम ग्रन्थों व सनातन धर्म से
ही है| भारतवर्ष में हिंदुओं को अन्य मतावलंबियों के बराबर अधिकार मिलने
चाहियें| वर्तमान में तो हिन्दू दो नंबर के नागरिक हैं, उन्हें सरकारी
मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अपना धर्म पढ़ाने की छूट नहीं है जो अन्य
सभी को प्राप्त है| यह समाप्त होना चाहिये| उनके मंदिरों की भी सरकारी लूट
होती है| मंदिरों का जो रुपया हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए लगना
चाहिये वह लूट कर सरकारें मस्जिदों के इमामों को वेतन आदि के रूप में, और मदरसों को अनुदान के रूप में दे देती है|
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सभी विद्यालयों में प्राथमिक कक्षाओं में ही माता-पिता को प्रणाम करना, प्राणायाम, योगासन, भोजन मंत्र आदि सिखाने चाहिएँ|
माध्यमिक कक्षाओं में पर्यावरण, स्वच्छता, और ध्यान करना सिखाना चाहिये|
उच्च कक्षाओं में अनिवार्य रूप से गीता पढ़ाई जानी चाहिये|
गीता में तीन ही विषय हैं ---- कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग| इनका ज्ञान प्राप्त कर जो पीढ़ी महाविद्यालयों में आएगी वह अति प्रतिभाशाली होगी|
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सभी विद्यालयों में प्राथमिक कक्षाओं में ही माता-पिता को प्रणाम करना, प्राणायाम, योगासन, भोजन मंत्र आदि सिखाने चाहिएँ|
माध्यमिक कक्षाओं में पर्यावरण, स्वच्छता, और ध्यान करना सिखाना चाहिये|
उच्च कक्षाओं में अनिवार्य रूप से गीता पढ़ाई जानी चाहिये|
गीता में तीन ही विषय हैं ---- कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग| इनका ज्ञान प्राप्त कर जो पीढ़ी महाविद्यालयों में आएगी वह अति प्रतिभाशाली होगी|
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