प्रथम विश्व युद्ध में मारे गए सभी भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि -----
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आज से पूरे एक-सौ-एक वर्ष पूर्व ११ नवम्बर १९१८ को प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ, जो २८ जुलाई १९१४ को आरम्भ हुआ था| भारत उस समय पराधीन था| इस युद्ध में ब्रिटिश आंकड़ों के अनुसार मारे गए सभी ७४,१८७ भारतीय सिपाहियों को श्रद्धांजलि| भगवान उन सब को सद्गति दे|
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वे तो बेचारे अपनी आजीविका के लिए ब्रिटिश-भारतीय सेना में भर्ती हुए थे जिन्हें ब्रिटिश हितों की रक्षा के लिए युद्ध की आग में ईंधन की तरह झोंक दिया गया और वे विदेशी धरती पर ही मारे गए| उनका कोई अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ| जयपुर राज्य के शेखावाटी जिले के ही लगभग ७००० सिपाही इस युद्ध में मारे गए थे|
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एक बात जो बताई नहीं जाती और छिपाई गयी है वह यह कि प्रथम और द्वितीय दोनों विश्वयुद्धों में सबसे अधिक सैनिक भारत के ही मारे गए थे| भारत चूंकि ब्रिटेन के आधीन था अतः असहाय था इसलिए भारत के सैनिकों को बलि के बकरों यानि युद्ध में चारे के रूप में मरवाया गया था|
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काश ! प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले भारत के उन दस लाख सिपाहियों में समाज और राष्ट्र की चेतना होती और उनकी बंदूकों का मुंह अंग्रेजों की ओर मुड़ गया होता ! द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद आज़ाद हिन्द फौज द्वारा यही हुआ और अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागना पडा| दुर्भाग्य से भारत को आज़ाद कराने का श्रेय आज़ाद हिन्द फौज को नहीं मिला और भारत की सत्ता अंग्रेजों के मानस पुत्रों के हाथ ही आ गयी|
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इस युद्ध में दस लाख से अधिक भारतीय सेना ने भाग लिया जो ब्रिटेन के आधीन थी| ६२,००० से अधिक सिपाही तो युद्ध के मोर्चे पर ही मारे गए, और ६७,००० से अधिक घायल हुए| ब्रिटिश आंकड़ों के अनुसार कुल ७४,१८७ भारतीय ब्रिटिश सिपाही इस युद्ध में मरे| ये जर्मनी के विरुद्ध पूर्वी अफ्रिका और पश्चिमी यूरोप में मारे गए थे|
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आज से पूरे एक-सौ-एक वर्ष पूर्व ११ नवम्बर १९१८ को प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ, जो २८ जुलाई १९१४ को आरम्भ हुआ था| भारत उस समय पराधीन था| इस युद्ध में ब्रिटिश आंकड़ों के अनुसार मारे गए सभी ७४,१८७ भारतीय सिपाहियों को श्रद्धांजलि| भगवान उन सब को सद्गति दे|
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वे तो बेचारे अपनी आजीविका के लिए ब्रिटिश-भारतीय सेना में भर्ती हुए थे जिन्हें ब्रिटिश हितों की रक्षा के लिए युद्ध की आग में ईंधन की तरह झोंक दिया गया और वे विदेशी धरती पर ही मारे गए| उनका कोई अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ| जयपुर राज्य के शेखावाटी जिले के ही लगभग ७००० सिपाही इस युद्ध में मारे गए थे|
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एक बात जो बताई नहीं जाती और छिपाई गयी है वह यह कि प्रथम और द्वितीय दोनों विश्वयुद्धों में सबसे अधिक सैनिक भारत के ही मारे गए थे| भारत चूंकि ब्रिटेन के आधीन था अतः असहाय था इसलिए भारत के सैनिकों को बलि के बकरों यानि युद्ध में चारे के रूप में मरवाया गया था|
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काश ! प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले भारत के उन दस लाख सिपाहियों में समाज और राष्ट्र की चेतना होती और उनकी बंदूकों का मुंह अंग्रेजों की ओर मुड़ गया होता ! द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद आज़ाद हिन्द फौज द्वारा यही हुआ और अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागना पडा| दुर्भाग्य से भारत को आज़ाद कराने का श्रेय आज़ाद हिन्द फौज को नहीं मिला और भारत की सत्ता अंग्रेजों के मानस पुत्रों के हाथ ही आ गयी|
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इस युद्ध में दस लाख से अधिक भारतीय सेना ने भाग लिया जो ब्रिटेन के आधीन थी| ६२,००० से अधिक सिपाही तो युद्ध के मोर्चे पर ही मारे गए, और ६७,००० से अधिक घायल हुए| ब्रिटिश आंकड़ों के अनुसार कुल ७४,१८७ भारतीय ब्रिटिश सिपाही इस युद्ध में मरे| ये जर्मनी के विरुद्ध पूर्वी अफ्रिका और पश्चिमी यूरोप में मारे गए थे|
उन सभी दिवंगत सैनिकों को श्रद्धांजलि !
कृपा शंकर
११ नवम्बर २०१९
कृपा शंकर
११ नवम्बर २०१९
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