Saturday, 7 December 2019

मनुष्य का लोभ ही रक्तबीज है .....

मनुष्य का लोभ ही रक्तबीज है| इसका कोई अंत नहीं है| मेरा एक अच्छा परिचित पूर्व सैनिक कंप्यूटर इंजीनियर था जिसने बहुत पहले हमारे नगर में एक कंप्यूटर इंस्टीट्यूट खोली थी जो इतनी अच्छी चली कि उसकी शाखाएँ पूरे राजस्थान व आसपास के राज्यों में खुल गईं| वह आरंभ में एक बहुत ही सज्जन व्यक्ति था, खूब मेहनती और मिलनसार| फिर उसके मन में लोभ आ गया| उस लोभ ने उसकी सोच को बदल दिया| उसने उस इंस्टीट्यूट को एक चिटफंड कंपनी में बदल दिया| सदस्यों से 6800 रुपये लेकर तीन वर्ष बाद बदले में 25 हज़ार रुपये देने लगा| देश भर में उसने 2,87,000 से अधिक सदस्य बनाए| हर वर्ष लॉटरी द्वारा कुछ सदस्यों को कारें व स्कूटर और मोटरसाइकिलें भी देनी शुरू कर दीं| जब तक सदस्य संख्या बढ़ती गई तब तक उसका धंधा खूब चला| जब और सदस्य बनने बंद हो गए तो रुपये आने बंद हो गए| फिर उसके विरुद्ध सैंकड़ों सदस्यों ने कानूनी कारवाई आरंभ कर दी| उस पर लोगों के 300 करोड़ रुपये ठगने का आरोप था| पिछले कई वर्षों से जेल में था| एक के बाद एक .... इस तरह के बहुत सारे धोखाधड़ी के मुकदमें उस पर चल रहे थे|
कल एक समाचार पढ़ा कि ..... "करोड़ों की ठगी के मास्टर माइंड की हार्ट अटैक से मौत|" उसके ऊपर लगभग 97 मुकदमें चल रहे थे, व हरियाणा के विभिन्न थानों में कई मामले दर्ज़ हैं|
उसके मन में लोभ जागा तो उसने यह ठगी का धंधा शुरू किया जिसकी उसे कोई आवश्यकता नहीं थी| अच्छी व्यावसायिक आय थी, खूब जमीन जायजाद थी और सेना से पेंशन आती थी|
इस लोभ से क्या तो उसको मिला और क्या उसके परिवार को? मनुष्य का लोभ रक्तबीज है जिसका कोई अंत नहीं है| भगवती की कृपा ही इस रक्तबीज का नाश कर सकती है|

३१ अक्टूबर २०१९ 

2 comments:

  1. राग-द्वेष, कुटिलता और अहंकार ..... ये सीधे नर्ककुंड में जाने के मार्ग हैं| इसका जब तक पता चलता है तब तक तो वहाँ पहुँच जाते हैं|

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  2. सारे उपदेश और सारी बड़ी बड़ी दार्शनिक बातें बेकार हैं यदि परमात्मा से प्रेम न हो तो| परमात्मा से प्रेम ही सारे सद्गुणों को अपनी ओर खींचता है| राष्ट्रभक्ति यानि देश के प्रति भक्ति भी उसी में हो सकती है जिस के हृदय में परमात्मा से प्रेम हो| जो परमात्मा को प्रेम नहीं कर सकता वह किसी को भी प्रेम नहीं कर सकता| ऐसा व्यक्ति इस धरा पर भार ही है|

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