जब पथरीली-बंजर घोर-शुष्क मरुभूमि में भी सुन्दर सुगंधित पुष्प खिल कर
महक सकते हैं तो मेरे इस शुष्क हृदय में क्यों नहीं? कीचड़ में कमल का उगना
तो सामान्य है|
परमात्मा की उपस्थिति के प्रकाश में मेरे हृदय की इस बंजर शुष्क मरुभूमि में भी भक्ति रूपी सुंदर सुगंधित पुष्प की पंखुड़ियाँ खिलें और उनकी महक मेरे हृदय से सभी के हृदयों में व्याप्त हो जाए|
परमात्मा की उपस्थिति का सूर्य सदा मेरे कूटस्थ में स्थिर रहे| मैं जहाँ भी रहूँ वहाँ किसी भी तरह का कोई असत्य और अंधकार न रहे|
परमात्मा की उपस्थिति के प्रकाश में मेरे हृदय की इस बंजर शुष्क मरुभूमि में भी भक्ति रूपी सुंदर सुगंधित पुष्प की पंखुड़ियाँ खिलें और उनकी महक मेरे हृदय से सभी के हृदयों में व्याप्त हो जाए|
परमात्मा की उपस्थिति का सूर्य सदा मेरे कूटस्थ में स्थिर रहे| मैं जहाँ भी रहूँ वहाँ किसी भी तरह का कोई असत्य और अंधकार न रहे|
श्रुति भगवती कहती है .....
" न तत्र सूर्यो भाति न चन्द्रतारकं नेमा विद्युतो भान्ति कुतोऽयमग्निः| तमेव भान्तमनुभाति सर्वं तस्य भासा सर्वमिदं विभाति||"
ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
११ नवंबर २०१९
" न तत्र सूर्यो भाति न चन्द्रतारकं नेमा विद्युतो भान्ति कुतोऽयमग्निः| तमेव भान्तमनुभाति सर्वं तस्य भासा सर्वमिदं विभाति||"
ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
११ नवंबर २०१९
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