ओंकार के रूप में सारी सृष्टि राम नाम का जप कर रही है| हम उस ध्वनि को
सुनें| सृष्टि निरंतर गतिशील है| कहीं भी जड़ता नहीं है| जड़ता का आभास माया
का आवरण है| यह भौतिक विश्व जिन अणुओं से बना है उनका निरंतर विखंडन और
नवसृजन हो रहा है| सारी आकाश गंगाएँ, सारे नक्षत्र अपने ग्रहों और उपग्रहों
के साथ अत्यधिक तीब्र गति से परिक्रमा कर रहे हैं| उस गति की, उस प्रवाह
की एक ध्वनी हो रही है जिसकी आवृति हमारे कानों की सीमा से परे है| वह
ध्वनी ही ओंकार रूप में परम सत्य 'राम' का नाम है| उसे सुनना और उसमें लीन
हो जाना ही उच्चतम साधना है| समाधिस्थ योगी जिसकी ध्वनी और प्रकाश में लीन
हैं, और सारे भक्त साधक जिस की साधना कर रहे हैं, वह 'राम' का नाम ही है
जिसे सुनने वालों का मन उसी में रम जाता है| राम राम राम|
कृपा शंकर
२६ अक्तूबर २०१९
कृपा शंकर
२६ अक्तूबर २०१९
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