सारी आध्यात्मिक साधनायें वैदिक हैं| कुछ साधनाओं को मैं शैव व शाक्त तंत्रागमों से ली गई मानता था, पर पिछले कुछ दिनों में गुरुकृपा से कुछ प्रामाणिक ग्रन्थों के स्वाध्याय का अवसर मिला जिनसे मेरी अनेक धारणाएँ परिवर्तित हो गईं और एक नई ऊर्जा का संचार हुआ|
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हमारे व्यक्तित्व में अनेक दोष हैं, हमारे अवचेतन मन में बहुत अधिक तमोगुण भरा हुआ है, प्रारब्ध कर्म तो हमें दुःखी कर ही रहे हैं, संचित कर्म भी पता नहीं कब फल देने लगें| समय बहुत कम है, जीवन बहुत छोटा है, ऐसे में मुक्ति की तो कल्पना ही असंभव है| पर गीता में भगवान श्रीकृष्ण किसी भी परिस्थिति में निराश नहीं होने को कहते हैं| श्रुति भगवती भी आश्वासन देती है कि जीव और ईश्वर में जो भेद है वह यथार्थ नहीं, माया द्वारा कल्पित है| पूर्व जन्मों के गुरु भी मार्गदर्शन, सहायता और रक्षा कर रहे हैं| उनकी कृपा से कोई संदेह नहीं रहा है| फिर भी अनेक व्यक्तित्व दोष हैं जिनका निराकरण हरिःकृपा से हमें करना ही होगा|
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नित्य नियमित रूप से जब भी समय मिले, खाली पेट, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह कर के किसी एकांत स्थान में ऊनी आसन पर बैठें| कमर को हमेशा सीधी रखें| दृष्टिपथ भ्रूमध्य की ओर रहे| कुछ देर हठयोग के प्राणायाम कर के शरीर को तनावरहित ढीला छोड़ दें| हर आती-जाती साँस के प्रति सजग रहें| पूर्ण श्रद्धा-विश्वास और निष्ठा से भगवान श्रीकृष्ण से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना और ध्यान करें|
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मैं अपनी पूरी निष्ठा और विश्वास से कहता हूँ कि उनकी कृपा निश्चित रूप से होगी और धीरे-धीरे आपके समक्ष अनेक गूढ़ रहस्य अनावृत होंगे| यह सब आपके प्रयासों पर कम, और उन की कृपा पर अधिक निर्भर है| अपना पूर्ण प्रेम उन्हें देंगे तो वे भी निश्चित रूप से कृपा करेंगे| यहाँ मैं और भी अनेक बातें लिखना चाहता था पर उनका आदेश बस इतने के लिए ही है|
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आप सब परमात्मा की श्रेष्ठतम अभिव्यक्तियाँ हैं| आप सब को नमन|
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय| ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ मई २०२०
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हमारे व्यक्तित्व में अनेक दोष हैं, हमारे अवचेतन मन में बहुत अधिक तमोगुण भरा हुआ है, प्रारब्ध कर्म तो हमें दुःखी कर ही रहे हैं, संचित कर्म भी पता नहीं कब फल देने लगें| समय बहुत कम है, जीवन बहुत छोटा है, ऐसे में मुक्ति की तो कल्पना ही असंभव है| पर गीता में भगवान श्रीकृष्ण किसी भी परिस्थिति में निराश नहीं होने को कहते हैं| श्रुति भगवती भी आश्वासन देती है कि जीव और ईश्वर में जो भेद है वह यथार्थ नहीं, माया द्वारा कल्पित है| पूर्व जन्मों के गुरु भी मार्गदर्शन, सहायता और रक्षा कर रहे हैं| उनकी कृपा से कोई संदेह नहीं रहा है| फिर भी अनेक व्यक्तित्व दोष हैं जिनका निराकरण हरिःकृपा से हमें करना ही होगा|
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नित्य नियमित रूप से जब भी समय मिले, खाली पेट, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह कर के किसी एकांत स्थान में ऊनी आसन पर बैठें| कमर को हमेशा सीधी रखें| दृष्टिपथ भ्रूमध्य की ओर रहे| कुछ देर हठयोग के प्राणायाम कर के शरीर को तनावरहित ढीला छोड़ दें| हर आती-जाती साँस के प्रति सजग रहें| पूर्ण श्रद्धा-विश्वास और निष्ठा से भगवान श्रीकृष्ण से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना और ध्यान करें|
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मैं अपनी पूरी निष्ठा और विश्वास से कहता हूँ कि उनकी कृपा निश्चित रूप से होगी और धीरे-धीरे आपके समक्ष अनेक गूढ़ रहस्य अनावृत होंगे| यह सब आपके प्रयासों पर कम, और उन की कृपा पर अधिक निर्भर है| अपना पूर्ण प्रेम उन्हें देंगे तो वे भी निश्चित रूप से कृपा करेंगे| यहाँ मैं और भी अनेक बातें लिखना चाहता था पर उनका आदेश बस इतने के लिए ही है|
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आप सब परमात्मा की श्रेष्ठतम अभिव्यक्तियाँ हैं| आप सब को नमन|
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय| ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ मई २०२०
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