वर्तमान उत्तरी कोरिया और वहाँ का तानाशाह किम जोंग उन .....
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ऐसे समाचार मिल रहे हैं कि उत्तरी कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन गंभीर रूप से बीमार है और उसके जीने की आशा भी कम है| मेरी कोई सहानुभूति किम जोंग उन के साथ नहीं है, पर यदि कोरिया का इतिहास निष्पक्ष दृष्टि से पढ़ें तो किसी की भी सहानुभूति एक बार तो उत्तरी कोरिया के साथ ही होगी| अब तो कोरिया की समस्या का एकमात्र समाधान यही है कि पुरानी बातों को भूलकर सम्मानजनक रूप से दोनों देश आपस में मिल कर एक हो जाएँ, वैसे ही जैसे पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी हुए थे| साम्यवाद (मार्क्सवाद) अब एक विफल व्यवस्था हो गई है जिसे सभी कम्युनिष्ट देशों ने त्याग दिया है| साम्यवाद के नाम पर किम परिवार का मुखिया ही आतंक द्वारा उत्तरी कोरिया पर अपना राज्य कायम किए हुए है| पर इसका भी अंत वैसे ही हो सकता है जैसे रोमानिया के कम्युनिष्ट तानाशाह चाउसेस्को का हुआ था| इस समय उत्तरी कोरिया का बहुत बुरा हाल है| क्यूबा में कम्युनिष्ट तानाशाह फिडेल कास्त्रो के मरते ही वहाँ मार्क्सवाद समाप्त हो गया था, हो सकता है किम जोंग उन के मरते ही वैसा ही उत्तरी कोरिया में हो जाये|
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चीन के मंचू सम्राटों ने १७ वीं शताब्दी में कोरिया पर अधिकार कर लिया था, तभी से कोरिया चीन के अधीन एक प्रदेश माना जाता था| रूस ने भी मंचू शासकों से मंचूरिया छीन कर उसे रूस का एक भाग बना लिया| रूस ने कोरिया पर भी अपना अधिकार करना चाहा तो जापान से यह सहन नहीं हुआ और उसने १९०५ में रूस के विरुद्ध युद्ध आरंभ कर रूस को पराजित कर मंचूरिया छीन लिया और २२ अगस्त १९१० को कोरिया पर भी अधिकार कर लिया|
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कोरिया के युद्ध और उसकी भूमिका पर मैंने दो-तीन वर्ष पूर्व एक लेख बड़े विस्तार से लिखा था| अब और नहीं लिखूंगा| कोरिया की त्रासदी के लिए वहाँ पर अगस्त १९१० से द्वीतिय विश्वयुद्ध की समाप्ति तक जापान द्वारा किए गये अवर्णनीय अत्याचार, फिर कोरियाई युद्ध में अमेरिकी जनरल डगलस मेकार्थर द्वारा उत्तरी कोरिया पर की गई भयंकर बमबारी जिस में वहाँ की बीस प्रतिशत निरपराध जनता मारी गई थी, जिम्मेदार है| अमेरिका ने वहाँ की सभी स्कूलों, अस्पतालों और अधिकांश भवनों को अपनी बमबारी से नष्ट कर दिया था| उस समय अमेरिका का राष्ट्रपति Harry Truman था| उसके बाद Dwight D. Eisenhower आया|
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अब तो उस बात को वर्षों बीत चुके हैं| वर्तमान पीढ़ी को तो उन बातों का पता ही नहीं है| मैं तो यही चाहता हूँ कि कोरिया प्रायदीप एक हो और मार्क्सवाद का यह अंतिम गढ़ ध्वस्त हो| मार्क्सवाद सिर्फ भारत के केरल और बंगाल प्रान्तों में ही बचेगा| भगवान करे भारत से भी मार्क्सवाद पूरी तरह समाप्त हो जाये| ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२१ अप्रेल २०२०
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ऐसे समाचार मिल रहे हैं कि उत्तरी कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन गंभीर रूप से बीमार है और उसके जीने की आशा भी कम है| मेरी कोई सहानुभूति किम जोंग उन के साथ नहीं है, पर यदि कोरिया का इतिहास निष्पक्ष दृष्टि से पढ़ें तो किसी की भी सहानुभूति एक बार तो उत्तरी कोरिया के साथ ही होगी| अब तो कोरिया की समस्या का एकमात्र समाधान यही है कि पुरानी बातों को भूलकर सम्मानजनक रूप से दोनों देश आपस में मिल कर एक हो जाएँ, वैसे ही जैसे पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी हुए थे| साम्यवाद (मार्क्सवाद) अब एक विफल व्यवस्था हो गई है जिसे सभी कम्युनिष्ट देशों ने त्याग दिया है| साम्यवाद के नाम पर किम परिवार का मुखिया ही आतंक द्वारा उत्तरी कोरिया पर अपना राज्य कायम किए हुए है| पर इसका भी अंत वैसे ही हो सकता है जैसे रोमानिया के कम्युनिष्ट तानाशाह चाउसेस्को का हुआ था| इस समय उत्तरी कोरिया का बहुत बुरा हाल है| क्यूबा में कम्युनिष्ट तानाशाह फिडेल कास्त्रो के मरते ही वहाँ मार्क्सवाद समाप्त हो गया था, हो सकता है किम जोंग उन के मरते ही वैसा ही उत्तरी कोरिया में हो जाये|
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चीन के मंचू सम्राटों ने १७ वीं शताब्दी में कोरिया पर अधिकार कर लिया था, तभी से कोरिया चीन के अधीन एक प्रदेश माना जाता था| रूस ने भी मंचू शासकों से मंचूरिया छीन कर उसे रूस का एक भाग बना लिया| रूस ने कोरिया पर भी अपना अधिकार करना चाहा तो जापान से यह सहन नहीं हुआ और उसने १९०५ में रूस के विरुद्ध युद्ध आरंभ कर रूस को पराजित कर मंचूरिया छीन लिया और २२ अगस्त १९१० को कोरिया पर भी अधिकार कर लिया|
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कोरिया के युद्ध और उसकी भूमिका पर मैंने दो-तीन वर्ष पूर्व एक लेख बड़े विस्तार से लिखा था| अब और नहीं लिखूंगा| कोरिया की त्रासदी के लिए वहाँ पर अगस्त १९१० से द्वीतिय विश्वयुद्ध की समाप्ति तक जापान द्वारा किए गये अवर्णनीय अत्याचार, फिर कोरियाई युद्ध में अमेरिकी जनरल डगलस मेकार्थर द्वारा उत्तरी कोरिया पर की गई भयंकर बमबारी जिस में वहाँ की बीस प्रतिशत निरपराध जनता मारी गई थी, जिम्मेदार है| अमेरिका ने वहाँ की सभी स्कूलों, अस्पतालों और अधिकांश भवनों को अपनी बमबारी से नष्ट कर दिया था| उस समय अमेरिका का राष्ट्रपति Harry Truman था| उसके बाद Dwight D. Eisenhower आया|
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अब तो उस बात को वर्षों बीत चुके हैं| वर्तमान पीढ़ी को तो उन बातों का पता ही नहीं है| मैं तो यही चाहता हूँ कि कोरिया प्रायदीप एक हो और मार्क्सवाद का यह अंतिम गढ़ ध्वस्त हो| मार्क्सवाद सिर्फ भारत के केरल और बंगाल प्रान्तों में ही बचेगा| भगवान करे भारत से भी मार्क्सवाद पूरी तरह समाप्त हो जाये| ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२१ अप्रेल २०२०
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ऐसे समाचार मिल रहे हैं कि उत्तरी कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन गंभीर रूप से बीमार है और उसके जीने की आशा भी कम है| मेरी कोई सहानुभूति किम जोंग उन के साथ नहीं है, पर यदि कोरिया का इतिहास निष्पक्ष दृष्टि से पढ़ें तो किसी की भी सहानुभूति एक बार तो उत्तरी कोरिया के साथ ही होगी| अब तो कोरिया की समस्या का एकमात्र समाधान यही है कि पुरानी बातों को भूलकर सम्मानजनक रूप से दोनों देश आपस में मिल कर एक हो जाएँ, वैसे ही जैसे पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी हुए थे| साम्यवाद (मार्क्सवाद) अब एक विफल व्यवस्था हो गई है जिसे सभी कम्युनिष्ट देशों ने त्याग दिया है| साम्यवाद के नाम पर किम परिवार का मुखिया ही आतंक द्वारा उत्तरी कोरिया पर अपना राज्य कायम किए हुए है| पर इसका भी अंत वैसे ही हो सकता है जैसे रोमानिया के कम्युनिष्ट तानाशाह चाउसेस्को का हुआ था| इस समय उत्तरी कोरिया का बहुत बुरा हाल है| क्यूबा में कम्युनिष्ट तानाशाह फिडेल कास्त्रो के मरते ही वहाँ मार्क्सवाद समाप्त हो गया था, हो सकता है किम जोंग उन के मरते ही वैसा ही उत्तरी कोरिया में हो जाये|
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चीन के मंचू सम्राटों ने १७ वीं शताब्दी में कोरिया पर अधिकार कर लिया था, तभी से कोरिया चीन के अधीन एक प्रदेश माना जाता था| रूस ने भी मंचू शासकों से मंचूरिया छीन कर उसे रूस का एक भाग बना लिया| रूस ने कोरिया पर भी अपना अधिकार करना चाहा तो जापान से यह सहन नहीं हुआ और उसने १९०५ में रूस के विरुद्ध युद्ध आरंभ कर रूस को पराजित कर मंचूरिया छीन लिया और २२ अगस्त १९१० को कोरिया पर भी अधिकार कर लिया|
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कोरिया के युद्ध और उसकी भूमिका पर मैंने दो-तीन वर्ष पूर्व एक लेख बड़े विस्तार से लिखा था| अब और नहीं लिखूंगा| कोरिया की त्रासदी के लिए वहाँ पर अगस्त १९१० से द्वीतिय विश्वयुद्ध की समाप्ति तक जापान द्वारा किए गये अवर्णनीय अत्याचार, फिर कोरियाई युद्ध में अमेरिकी जनरल डगलस मेकार्थर द्वारा उत्तरी कोरिया पर की गई भयंकर बमबारी जिस में वहाँ की बीस प्रतिशत निरपराध जनता मारी गई थी, जिम्मेदार है| अमेरिका ने वहाँ की सभी स्कूलों, अस्पतालों और अधिकांश भवनों को अपनी बमबारी से नष्ट कर दिया था| उस समय अमेरिका का राष्ट्रपति Harry Truman था| उसके बाद Dwight D. Eisenhower आया|
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अब तो उस बात को वर्षों बीत चुके हैं| वर्तमान पीढ़ी को तो उन बातों का पता ही नहीं है| मैं तो यही चाहता हूँ कि कोरिया प्रायदीप एक हो और मार्क्सवाद का यह अंतिम गढ़ ध्वस्त हो| मार्क्सवाद सिर्फ भारत के केरल और बंगाल प्रान्तों में ही बचेगा| भगवान करे भारत से भी मार्क्सवाद पूरी तरह समाप्त हो जाये| ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२१ अप्रेल २०२०
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ऐसे समाचार मिल रहे हैं कि उत्तरी कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन गंभीर रूप से बीमार है और उसके जीने की आशा भी कम है| मेरी कोई सहानुभूति किम जोंग उन के साथ नहीं है, पर यदि कोरिया का इतिहास निष्पक्ष दृष्टि से पढ़ें तो किसी की भी सहानुभूति एक बार तो उत्तरी कोरिया के साथ ही होगी| अब तो कोरिया की समस्या का एकमात्र समाधान यही है कि पुरानी बातों को भूलकर सम्मानजनक रूप से दोनों देश आपस में मिल कर एक हो जाएँ, वैसे ही जैसे पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी हुए थे| साम्यवाद (मार्क्सवाद) अब एक विफल व्यवस्था हो गई है जिसे सभी कम्युनिष्ट देशों ने त्याग दिया है| साम्यवाद के नाम पर किम परिवार का मुखिया ही आतंक द्वारा उत्तरी कोरिया पर अपना राज्य कायम किए हुए है| पर इसका भी अंत वैसे ही हो सकता है जैसे रोमानिया के कम्युनिष्ट तानाशाह चाउसेस्को का हुआ था| इस समय उत्तरी कोरिया का बहुत बुरा हाल है| क्यूबा में कम्युनिष्ट तानाशाह फिडेल कास्त्रो के मरते ही वहाँ मार्क्सवाद समाप्त हो गया था, हो सकता है किम जोंग उन के मरते ही वैसा ही उत्तरी कोरिया में हो जाये|
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चीन के मंचू सम्राटों ने १७ वीं शताब्दी में कोरिया पर अधिकार कर लिया था, तभी से कोरिया चीन के अधीन एक प्रदेश माना जाता था| रूस ने भी मंचू शासकों से मंचूरिया छीन कर उसे रूस का एक भाग बना लिया| रूस ने कोरिया पर भी अपना अधिकार करना चाहा तो जापान से यह सहन नहीं हुआ और उसने १९०५ में रूस के विरुद्ध युद्ध आरंभ कर रूस को पराजित कर मंचूरिया छीन लिया और २२ अगस्त १९१० को कोरिया पर भी अधिकार कर लिया|
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कोरिया के युद्ध और उसकी भूमिका पर मैंने दो-तीन वर्ष पूर्व एक लेख बड़े विस्तार से लिखा था| अब और नहीं लिखूंगा| कोरिया की त्रासदी के लिए वहाँ पर अगस्त १९१० से द्वीतिय विश्वयुद्ध की समाप्ति तक जापान द्वारा किए गये अवर्णनीय अत्याचार, फिर कोरियाई युद्ध में अमेरिकी जनरल डगलस मेकार्थर द्वारा उत्तरी कोरिया पर की गई भयंकर बमबारी जिस में वहाँ की बीस प्रतिशत निरपराध जनता मारी गई थी, जिम्मेदार है| अमेरिका ने वहाँ की सभी स्कूलों, अस्पतालों और अधिकांश भवनों को अपनी बमबारी से नष्ट कर दिया था| उस समय अमेरिका का राष्ट्रपति Harry Truman था| उसके बाद Dwight D. Eisenhower आया|
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अब तो उस बात को वर्षों बीत चुके हैं| वर्तमान पीढ़ी को तो उन बातों का पता ही नहीं है| मैं तो यही चाहता हूँ कि कोरिया प्रायदीप एक हो और मार्क्सवाद का यह अंतिम गढ़ ध्वस्त हो| मार्क्सवाद सिर्फ भारत के केरल और बंगाल प्रान्तों में ही बचेगा| भगवान करे भारत से भी मार्क्सवाद पूरी तरह समाप्त हो जाये| ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२१ अप्रेल २०२०
किसी भी विषय की या किसी भी मत, पंथ या विचारधारा की आलोचना से पूर्व उस का गहन अध्ययन करना चाहिए| सुनी-सुनाई बातों से किसी की मैं आलोचना नहीं करता| मैं मार्क्सवाद की आलोचना करता हूँ क्योंकि मुझे इसका प्रत्यक्ष अनुभव है| जब मार्क्सवाद अपने चरम पर था ऐसे समय भगवान ने मुझे पूर्व सोवियत संघ में रूस और लातविया में रहने का अवसर प्रदान किया है| फिर मार्क्सवादी देशों .... यूक्रेन, रोमानिया, चीन और उत्तरी कोरिया की यात्राएं भी भगवान ने करवाई हैं| विश्व के ग्यारह मुस्लिम देशों .... मोरक्को, मिश्र, तुर्की, सऊदी अरब, मलयेशिया, इन्डोनेशिया, बांग्लादेश, यमन, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, और कुवैत की यात्राएं भी भगवान ने करवाई हैं| अतः उनके भी मत के किसी विषय की मैं समालोचना करता हूँ तो अपने अध्ययन से करता हूँ| विश्व के अनेक ईसाई देशों में गया हुआ हूँ, अनेक विदेशी ईसाई पादरी मेरे अच्छे मित्र थे| उनके मत की समालोचना मैं उनके समक्ष ही किया करता था जिसे वे बड़े ध्यान से सुनते भी थे और सहमत भी होते थे| अब भी कई बाते मुझे अच्छी नहीं लगती जिनकी आलोचना मैं सोच-समझ कर अपनी मर्यादा में रहते हुए ही करता हूँ| मेरी शुभ कामनाएँ सभी के प्रति हैं| सभी का कल्याण हो| ॐ नमः शिवाय !!
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