यह एक शाश्वत प्रश्न है जिसका उत्तर व समाधान भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के अध्याय २, ३ व ४ में बहुत अच्छी तरह से समझाया है| हमें हमारे गुण ही हर कर्म करने की प्रेरणा देते हैं| जैसा गुण हमारे में होगा वैसा ही स्वभाव होगा और वैसे ही कर्म होंगे| अतः हम तमोगुण से मुक्त होकर रजोगुण में, रजोगुण से मुक्त होकर सतोगुण में, और अंततः गुणातीत बनें| इसकी विधि भी भगवान ने बताई है| हमारे दुःखों का कारण भी ये गुण ही हैं| अतः हमें दुःखों से मुक्ति के लिए सत्संग, स्वाध्याय और साधना तो करनी ही पड़ेगी| सिर्फ बातों से कुछ लाभ नहीं होगा|
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एक तो यह जिज्ञासा सदा रहनी चाहिए कि मैं कौन हूँ? दूसरा शरणागति का भाव सदा रहना चाहिए| फिर भगवान निश्चित रूप से हमारी रक्षा करेंगे|
एक तो यह जिज्ञासा सदा रहनी चाहिए कि मैं कौन हूँ? दूसरा शरणागति का भाव सदा रहना चाहिए| फिर भगवान निश्चित रूप से हमारी रक्षा करेंगे|
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हमें अपने स्वयं की कमियों को दूर करना होगा :---
अपना अस्तित्व बचाये रखना है तो हमें अपने स्वयं की व समाज और राष्ट्र की कमियों को दूर करना होगा| स्वयं को सक्षम बनाना होगा| बालिकाओं को आत्म रक्षा करना सिखाएँ, किशोरों को अखाड़ों में जाकर व्यायाम करने व शक्तिशाली बनने की प्रेरणा दें, उन्हें साहसी बनाएँ| अपनी कमी के लिए औरों को दोष मत दें| हम शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आर्थिक व आध्यात्मिक हर दृष्टिकोण से शक्तिशाली बनें| बच्चों को हर समय डरा-धमका कर उन्हें डरपोक न बनाएँ| हमारे हर बच्चे में इतना साहस हो कि वह बिना किसी भय के अपने माँ-बाप से अपनी बात कह सके|
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जिसका स्वभाव ही हिंसक है वह तो निज स्वभाववश दूसरों को हानि पहुँचायेगा ही, पर यदि हम सक्षम और शक्तिशाली होंगें तो किसी का साहस नहीं होगा हमारा अहित करने का| किसी के साथ अन्याय मत करो, निरंतर परोपकार करो, अपनी कमी के लिए औरों को दोष मत दो व भ्रमित करने वाले शब्दजाल में मत फँसो| यदि हम सक्षम हैं तो सिंह की भी हिम्मत नहीं होगी हमारे ऊपर आक्रमण करने की| हमारे सामने कोई हिंसक प्राणी आ जाए और हम पर आक्रमण करे तो उसके सामने घुटने टेक कर हाथ जोड़ कर रो रो कर प्रार्थना करने से कि महाराज मैंने तो कभी चींटी भी नहीं मारी, मैं तो अहिंसा का पुजारी हूँ और किसी का अहित नहीं करता हूँ, मुझे मत मारो तो क्या वह हिंसक प्राणी हमें छोड़ देगा?
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भ्रमित करने वाले उपदेशों से बचें जिन्होनें समाज में भ्रम फैलाया है| हमें मूर्ख बनाने के लिए कई झूठ सिखाए गए हैं, निज विवेक से उन सभी भ्रमों को दूर करें| हमारा संकल्प हो कि भारत एक परम वैभवशाली, आध्यात्मिक, व शक्तिशाली राष्ट्र बने| भारत माता की जय|
कृपा शंकर
१८ अप्रेल २०२०
अपना अस्तित्व बचाये रखना है तो हमें अपने स्वयं की व समाज और राष्ट्र की कमियों को दूर करना होगा| स्वयं को सक्षम बनाना होगा| बालिकाओं को आत्म रक्षा करना सिखाएँ, किशोरों को अखाड़ों में जाकर व्यायाम करने व शक्तिशाली बनने की प्रेरणा दें, उन्हें साहसी बनाएँ| अपनी कमी के लिए औरों को दोष मत दें| हम शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आर्थिक व आध्यात्मिक हर दृष्टिकोण से शक्तिशाली बनें| बच्चों को हर समय डरा-धमका कर उन्हें डरपोक न बनाएँ| हमारे हर बच्चे में इतना साहस हो कि वह बिना किसी भय के अपने माँ-बाप से अपनी बात कह सके|
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जिसका स्वभाव ही हिंसक है वह तो निज स्वभाववश दूसरों को हानि पहुँचायेगा ही, पर यदि हम सक्षम और शक्तिशाली होंगें तो किसी का साहस नहीं होगा हमारा अहित करने का| किसी के साथ अन्याय मत करो, निरंतर परोपकार करो, अपनी कमी के लिए औरों को दोष मत दो व भ्रमित करने वाले शब्दजाल में मत फँसो| यदि हम सक्षम हैं तो सिंह की भी हिम्मत नहीं होगी हमारे ऊपर आक्रमण करने की| हमारे सामने कोई हिंसक प्राणी आ जाए और हम पर आक्रमण करे तो उसके सामने घुटने टेक कर हाथ जोड़ कर रो रो कर प्रार्थना करने से कि महाराज मैंने तो कभी चींटी भी नहीं मारी, मैं तो अहिंसा का पुजारी हूँ और किसी का अहित नहीं करता हूँ, मुझे मत मारो तो क्या वह हिंसक प्राणी हमें छोड़ देगा?
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भ्रमित करने वाले उपदेशों से बचें जिन्होनें समाज में भ्रम फैलाया है| हमें मूर्ख बनाने के लिए कई झूठ सिखाए गए हैं, निज विवेक से उन सभी भ्रमों को दूर करें| हमारा संकल्प हो कि भारत एक परम वैभवशाली, आध्यात्मिक, व शक्तिशाली राष्ट्र बने| भारत माता की जय|
कृपा शंकर
१८ अप्रेल २०२०
हमारी कोई भी बुराई हो, वह निज प्रयासों से कभी दूर नहीं होती, चाहे कितना भी हम प्रयास करें| इसके लिए भगवान का अनुग्रह चाहिए| वे तो इन सब से ऊपर उठने का उपदेश देते हैं, और मार्ग भी बताते हैं| सारी बुराइयाँ और अच्छाइयाँ हमारे अवचेतन मन में अनेक जन्मों के संस्कारों के रूप में छिपी होती हैं जो अवसर मिलते ही प्रकट हो जाती हैं| भगवान की परम कृपा का पात्र हमें बनना होगा जिसके लिए चाहिए ..... परमप्रेम, अभीप्सा और समर्पण|
ReplyDeleteगीता के अध्याय १८ "मोक्ष-सन्यास योग" का स्वाध्याय एक बार अवश्य करें|
ॐ तत्सत् !! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ अप्रेल २०२०