हमारे जीवन में असंतोष, पीड़ा और दुःख है, इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारे जीवन में किसी न किसी तरह की कोई कमी है| पहले तो यह ज्ञात होना चाहिए कि वह कमी क्या है, तभी तो उसे दूर किया जा सकता है| कमी का ज्ञान होगा तभी तो वह दूर होगी| हमारी एकमात्र कमी यह है कि हमें अपनी कमी का ज्ञान नहीं है| जहाँ तक मैं समझता हूँ, हमारी एकमात्र कमी हमारी "अपूर्णता" और "अज्ञान" है| अन्य कोई कमी नहीं है| अब प्रश्न यह है कि उस "अपूर्णता" और "अज्ञान" को दूर कैसे करें? यही हमारी सबसे बड़ी समस्या है| यह अपूर्णता और अज्ञान ही हमारे जीवन में छाए हुए असत्य और अंधकार का कारण है, जिस से सभी दुःख, असंतोष और पीड़ा उत्पन्न हो रही हैं|
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किसी भी प्रश्न का एक ही उत्तर सभी के लिए नहीं हो सकता| यह हर व्यक्ति की समझ, योग्यता और क्षमता पर निर्भर है कि उसके लिए क्या सही उत्तर है| हमे अपनी कमी का पता भी स्वयं को ही करना होगा, और उसे दूर कैसे किया जाये, इसका पता भी स्वयं को ही करना होगा| भगवान हमारे साथ हैं, वे निश्चित रूप से हमारी सहायता करेंगे|
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किसी भी प्रश्न का एक ही उत्तर सभी के लिए नहीं हो सकता| यह हर व्यक्ति की समझ, योग्यता और क्षमता पर निर्भर है कि उसके लिए क्या सही उत्तर है| हमे अपनी कमी का पता भी स्वयं को ही करना होगा, और उसे दूर कैसे किया जाये, इसका पता भी स्वयं को ही करना होगा| भगवान हमारे साथ हैं, वे निश्चित रूप से हमारी सहायता करेंगे|
सभी को शुभ कामनाएँ और नमन !!
कृपा शंकर
२ मई २०२०
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पुनश्च :--- यह हमारा सौभाग्य है कि हमने इस धरा पर मानव योनि में जन्म लिया, क्योकि इसी संसार मे हमें मोक्ष मिल सकता है और मोक्ष के साधन भी| इसी धरा पर हम सेवा कर सकते हैं| यदि ईश्वर ने हमे यहां भेजा है तो अवश्य ही कुछ कारण होगा|
कृपा शंकर
२ मई २०२०
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पुनश्च :--- यह हमारा सौभाग्य है कि हमने इस धरा पर मानव योनि में जन्म लिया, क्योकि इसी संसार मे हमें मोक्ष मिल सकता है और मोक्ष के साधन भी| इसी धरा पर हम सेवा कर सकते हैं| यदि ईश्वर ने हमे यहां भेजा है तो अवश्य ही कुछ कारण होगा|
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