Thursday, 7 May 2020

जगत मजूरी देत है, क्यों राखें भगवान ----

जगत मजूरी देत है, क्यों राखें भगवान ----
साधू, सावधान !! संभल जा, अन्यथा सामने नर्ककुंड की अग्नि है !
.
१ मई १८८६ को अमेरिका के लाखों मजदूरों ने काम का समय ८ घंटे से अधिक न रखे जाने की मांग की और हड़ताल पर चले गए| वहाँ की पुलिस ने मज़दूरों पर गोली चलाई और ७ मजदूर मर गए| तब से पूरी दुनियाँ में काम की अवधि ८ घंटे हो गई और इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय श्रम-दिवस के रूप में मनाया जाने लगा| १ मई १९२३ को मद्रास (अब चेन्नई) में "भारती मज़दूर किसान पार्टी" के नेता कॉमरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने मद्रास हाईकोर्ट के सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया| तब से भारत में भी मजदूरों की माँगें मान ली गईं और इस दिवस को मान्यता मिल गई|
१ मई १९६० को बॉम्बे राज्य को तोड़ कर मराठी भाषी व गुजराती भाषी क्षेत्रों को अलग-अलग कर महाराष्ट्र व गुजरात नाम के दो राज्य बनाए गए थे| आज "महाराष्ट्र दिवस" और "गुजरात दिवस" भी है|
.
हम दिन में ८ घंटे श्रम करते हैं तब जाकर महिने के अंत में मजदूरी मिलती है जिस से हमारा गुजारा होता है| भगवान ने हमें हर क्षण यह जीवन और सब कुछ दिया है| हम उनके लिए भी पूरा श्रम करें तो वे स्वयं को ही हमें दे देते हैं| जितना श्रम करेंगे उतनी ही मजदूरी मिलेगी| लानत है हमारे ऊपर की हम २४ घंटों में से उन्हें ढाई घंटे भी नहीं दे पाते|
.
"तुलसी विलंब न कीजिये, भजिये नाम सुजान| जगत मजूरी देत है, क्यों राखें भगवान||"
"तुलसी माया नाथ की, घट घट आन पड़ी| किस किस को समझाइये, कुएँ भांग पड़ी||"
.
मुझे स्वयं पर तरस आता है| जब नौकरी करता था तब नित्य कम से कम आठ-दस घंटों तक काम करना पड़ता था तब जाकर वेतन मिलता था| फिर भी नित्य दो-तीन घंटे भगवान के लिए निकाल ही लिया करता था| पर अब सेवा-निवृति के पश्चात प्रमाद और दीर्घसूत्रता जैसे विकार उत्पन्न हो रहे हैं, जिनसे विक्षेप हो रहा है|
.
अतः साधू, सावधान ! संभल जा, अन्यथा सामने नर्ककुंड की अग्नि है| ॐ तत्सत् ||
कृपा शंकर
१ मई २०२०

No comments:

Post a Comment