Thursday, 7 May 2020

कर्ताभाव से मुक्त कैसे हों? .....

कर्ताभाव से मुक्त कैसे हों?
अरुणिमा की झलक बता रही है कि सूर्योदय सुनिश्चित है| कर्ताभाव का अहंकार ही एकमात्र अवरोध है, अन्यथा सूर्योदय में विलंब नहीं है| वास्तव में 'कर्ता' तो भगवती स्वयं है जो यज्ञ रूप में सारे कर्मफल परमात्मा को अर्पित करती हैं| वे ही ''उपासना' ;उपासक' और 'उपास्य' हैं| पर हम स्वयं कर्ता बन बैठे हैं|
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कर्ताभाव से मुक्त कैसे हों? हर चीज की कीमत चुकानी होती है, प्रकृति में कुछ भी निःशुल्क नहीं है| कीमत तो चुकानी ही होगी| वह कीमत है..... हमारा 'चित्त'| भगवान कहते हैं .....
"मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि| अथ चेत्त्वमहङ्कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि||१८:५८||
मुझ में चित्त वाला हो कर तूँ समस्त कठिनाइयों को अर्थात् जन्म-मरण रूप संसार के समस्त कारणों को मेरे अनुग्रहसे तर जायगा ... सबसे पार हो जायगा| परंतु यदि तूँ मेरे कहे हुए वचनों को अहंकार से मैं पण्डित हूँ ऐसा समझ कर नहीं सुनेगा, ग्रहण नहीं करेगा तो नष्ट हो जायगा ... नाशको प्राप्त हो जाएगा|
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अब शंका किस बात की? तुरंत कमर कस कर उनके प्रेम सागर में डुबकी लगा देनी चाहिए| मोती नहीं मिलते हैं तो दोष सागर का नहीं, डुबकी का है, जिसमें पूर्णता लाओ|
अभीप्सा तीब्रतम हो पर समर्पण में पूर्णता हो| फिर सूर्योदय सुनिश्चित है|
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१० अप्रेल २०२०

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