Thursday, 7 May 2020

रक्तबीज, महिषासुर व रावण अमर हैं .....

रक्तबीज, महिषासुर व रावण अमर हैं और जब तक सृष्टि है तब तक इन का अस्तित्व बना रहेगा| उनके बिना सृष्टि चल नहीं सकती| हमें ही अपने चेतना में उन से मुक्त होना पड़ेगा| ये हमारे अवचेतन मन में छिपे हैं और चित्त की वृत्तियों (वासनाओं) के रूप में निरंतर प्रकट हो रहे हैं| जितना इनका दमन करते हैं, उतना ही इनका विस्तार होता है| सारे दुःखों, कष्टों, पीड़ाओं, दरिद्रता और दुर्गति के मूल में ये ही हैं|
परस्त्री/पुरुष व पराये धन की कामना, अन्याय/अधर्म द्वारा धन पाने की इच्छा, परपीड़ा, अधर्माचरण, मिथ्या अहंकार, प्रमाद यानि आलस्य, काम को आगे टालने की प्रवृत्ति और तमोगुण ही इन असुरों की अभिव्यक्ति है|
निज प्रयास से इनका नाश नहीं हो सकता| अपनी चेतना में परमात्मा को प्रकट कर के ही इन से मुक्त हो सकते हैं| उस के लिए हमें साधना/उपासना करनी होगी|

८ अप्रेल २०२० 

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