Tuesday, 12 May 2020

अहंकार और लोभ ही हमारे पतन के कारण हैं .....

हमारे ही नहीं, बड़े से बड़े संत-महात्मा और राजा-महाराजा के भी पतन के दो ही कारण होते हैं ...
(१) अहंकार (२) लोभ || कोई तीसरा कारण नहीं है|
महाभारत में लोभ और अहंकार को ही हिंसा का कारण बताया गया है| लोभ और अहंकार से मुक्ति ही अहिंसा है, जो परम धर्म है|
हम स्वयं को यह शरीर मानते हैं, यह सब से बड़ा अहंकार है| अपने स्वयं के कोई बड़ा आदमी होने, गुणवान व साधन-सम्पन्न होने, बहुत बड़ा साधक या महात्मा होने का भाव भी अहंकार है जो पतन का कारण होता है| महाभारत में इसे बहुत अच्छी तरह से समझाया गया है| यश, प्रसिद्धि व प्रभावशाली होने की चाह भी लोभ है, जो हमसे गलत कार्य करवाता है| पराये धन, पराये स्त्री/पुरुष, व असीमित भौतिक सुख-सुविधाओं की चाह भी हमारा पतनगामी लोभ है| हमारे शास्त्रों में इसके उदाहरण भरे पड़े हैं|

जो अहंकार और लोभ से मुक्त है वही वास्तविक चरित्रवान है| देश की सबसे बड़ी समस्या राष्ट्रीय चरित्र निर्माण की है| चरित्रवान, कार्यकुशल व राष्ट्रभक्त नागरिक ही देश की वास्तविक शक्ति हैं| अङ्ग्रेज़ी राज से मुक्ति के बाद से ही देश के उच्च पदस्थ लोगों में भ्रष्टाचार था जो समय के साथ बढ़ता गया| देश में हजारों करोड़ रुपयों के अनेक घोटाले हुए हैं जिनमें देश के शीर्षस्थ लोग सम्मिलित थे| आश्चर्य है कि सभी घोटालेबाज बच गये और घोटाले का पैसा वसूल नहीं हुआ| ये घोटाले अशिक्षित व अज्ञानी लोगों ने नहीं वरन, बल्कि समाज के सम्मानित व प्रतिष्ठित लोगों ने किये| सत्ता के शीर्ष में बैठे हुए लोगों का चरित्र आदर्श हो| नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, गुलजारीलाल नन्दा, अटलबिहारी बाजपेयी के बाद अब देश में श्री नरेन्द्र मोदी जी ही हैं जिन्हें हम चरित्रवान कह सकते हैं| वर्तमान शिक्षा व्यवस्था देश को चरित्रवान युवा नहीं दे सकती| देश में बड़े-बड़े विचारक हैं जिन्हें इस समस्या पर विचार करना चाहिए|
६ मई २०२०

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