अथ वायुः अमृतम् अनिलम् | इदम् शरीरं भस्मान्तं भूयात् | ॐ कृतो स्मर, कृतं स्मर, कृतो स्मर, कृतं स्मर || ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||
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प्रिय निजात्मगण, सप्रेम अभिवादन ! मुझे आप सब से बहुत अधिक प्रेम, सम्मान, स्नेह और आशीर्वाद मिला है जिसके लिए मैं आप सब का बहुत अधिक आभारी हूँ| मेरा स्वास्थ्य अब ठीक नहीं रहता है इसलिए मैं फेसबुक आदि सभी सोशियल मीडिया पर सभी तरह का लेखन कार्य स्थायी रूप से बंद कर रहा हूँ| अन्य कोई कारण नहीं है| इस लेखन के पीछे ईश्वर की प्रेरणा ही थी| पिछले कई वर्षों में बहुत अधिक लेख मेरे माध्यम से लिखे गए हैं जिन का श्रेय मैं नहीं लेता क्योंकि सारी शक्ति और प्रेरणा ईश्वर की ही थी, अतः सारा श्रेय ईश्वर को ही है, मुझे नहीं| ज्ञान का एकमात्र स्त्रोत भी ईश्वर ही है, पुस्तकें नहीं| पुस्तकें तो मात्र प्रेरणा और सूचना ही देती हैं, कोई ज्ञान नहीं|
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मुझे किसी भी तरह का कोई यश, कीर्ति और सम्मान नहीं चाहिए| मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे याद भी करे| याद ही करना है तो शाश्वत परमात्मा को करें, इन नश्वर शरीर महाराज को नहीं, जिन की आयु ७२ वर्ष से अधिक की हो चुकी है| अब अवशिष्ट सारा जीवन परमात्मा की ध्यान साधना में ही बिताने की प्रेरणा मिल रही है| जब यह शरीर छोड़ने का समय आयेगा तब तक भगवान का ध्यान करते करते सचेतन रूप से देह-त्याग करने की क्षमता भी गुरुकृपा से प्राप्त हो ही जाएगी| पूर्व जन्मों के गुरु ही इस जन्म में भी मेरे गुरु हैं जो सूक्ष्म जगत से अपनी कृपा-वृष्टि करते रहते हैं| पूर्व-जन्म की स्मृतियाँ कभी-कभी सामने आ जाती हैं| इस जन्म में अपने गुरुओं को कभी अपनी भौतिक आँखों से देखा नहीं पर चैतन्य में उनकी उपस्थिती सदा रहती है|
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कुछ समय पहिले एक मोबाइल स्मार्ट मोबाइल फोन खरीदा था, उसका उपयोग बंद कर एक बेसिक मोबाइल फोन ही रखूँगा जिसका भी कम से कम और अति आवश्यक प्रयोग ही करूंगा| एक लेपटॉप है जिसका प्रयोग भी व्यक्तिगत मेल आदि के लिए ही करूंगा| मोबाइल फोन पर लिखना इस आयु में संभव नहीं है|
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प्रिय निजात्मगण, सप्रेम अभिवादन ! मुझे आप सब से बहुत अधिक प्रेम, सम्मान, स्नेह और आशीर्वाद मिला है जिसके लिए मैं आप सब का बहुत अधिक आभारी हूँ| मेरा स्वास्थ्य अब ठीक नहीं रहता है इसलिए मैं फेसबुक आदि सभी सोशियल मीडिया पर सभी तरह का लेखन कार्य स्थायी रूप से बंद कर रहा हूँ| अन्य कोई कारण नहीं है| इस लेखन के पीछे ईश्वर की प्रेरणा ही थी| पिछले कई वर्षों में बहुत अधिक लेख मेरे माध्यम से लिखे गए हैं जिन का श्रेय मैं नहीं लेता क्योंकि सारी शक्ति और प्रेरणा ईश्वर की ही थी, अतः सारा श्रेय ईश्वर को ही है, मुझे नहीं| ज्ञान का एकमात्र स्त्रोत भी ईश्वर ही है, पुस्तकें नहीं| पुस्तकें तो मात्र प्रेरणा और सूचना ही देती हैं, कोई ज्ञान नहीं|
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मुझे किसी भी तरह का कोई यश, कीर्ति और सम्मान नहीं चाहिए| मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे याद भी करे| याद ही करना है तो शाश्वत परमात्मा को करें, इन नश्वर शरीर महाराज को नहीं, जिन की आयु ७२ वर्ष से अधिक की हो चुकी है| अब अवशिष्ट सारा जीवन परमात्मा की ध्यान साधना में ही बिताने की प्रेरणा मिल रही है| जब यह शरीर छोड़ने का समय आयेगा तब तक भगवान का ध्यान करते करते सचेतन रूप से देह-त्याग करने की क्षमता भी गुरुकृपा से प्राप्त हो ही जाएगी| पूर्व जन्मों के गुरु ही इस जन्म में भी मेरे गुरु हैं जो सूक्ष्म जगत से अपनी कृपा-वृष्टि करते रहते हैं| पूर्व-जन्म की स्मृतियाँ कभी-कभी सामने आ जाती हैं| इस जन्म में अपने गुरुओं को कभी अपनी भौतिक आँखों से देखा नहीं पर चैतन्य में उनकी उपस्थिती सदा रहती है|
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कुछ समय पहिले एक मोबाइल स्मार्ट मोबाइल फोन खरीदा था, उसका उपयोग बंद कर एक बेसिक मोबाइल फोन ही रखूँगा जिसका भी कम से कम और अति आवश्यक प्रयोग ही करूंगा| एक लेपटॉप है जिसका प्रयोग भी व्यक्तिगत मेल आदि के लिए ही करूंगा| मोबाइल फोन पर लिखना इस आयु में संभव नहीं है|
मेरी राजनीतिक विचारधारा : ---
सत्य सनातन धर्म ही भारत की राजनीति हो| भारत माँ अपने द्विगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बिराजमान हों| भारत में असत्य और अंधकार की शक्तियों का पराभव हो, भारत के भीतर और बाहर के शत्रुओं का नाश हो| सत्य सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो| इस से पृथक मेरी कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं है|
मेरी आध्यात्मिक विचारधारा :---
जो श्रीमद्भगवद्गीता में वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण की और श्रुति भगवती की विचारधारा है, वही मेरी भी आध्यात्मिक विचारधारा है, उस से एक माइक्रोमीटर भी इधर उधर नहीं| इसमें कोई संदेह नहीं है|
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आप सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्तियाँ और मेरे प्राण है| आप सब को सविनय सादर नमस्कार करता हूँ| आप सब का आशीर्वाद सदा बना रहे|
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आप सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्तियाँ और मेरे प्राण है| आप सब को सविनय सादर नमस्कार करता हूँ| आप सब का आशीर्वाद सदा बना रहे|
"वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च|
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते||
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व|
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः||"
ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१२ मई २०२०
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते||
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व|
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः||"
ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१२ मई २०२०
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