Thursday, 17 October 2019

यह एक चेतावनी है, आगे खतरा ही खतरा है| साधू , सावधान !

यह एक चेतावनी है, आगे खतरा ही खतरा है| साधू , सावधान !
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"ध्यायतो विषयान्पुंसः संगस्तेषूपजायते|
संगात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते||गीता २:६२||"
"क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः|
स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति||गीता २:६३||"
"उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत|
क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति||" (कठोपनिषद् १:३:१४)
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भय की बात नहीं है| भगवान आश्वासन भी. दे रहे हैं .....
"मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि|
अथ चेत्त्वमहङ्कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि||गीता १८:५८||
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तुरंत उठ ! वैराग्यवान होकर सिर्फ परमात्मा का अपने प्रियतम रूप में स्मरण कर ! दोष विषयों में नहीं बल्कि उनके चिंतन में है |
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१३ सितंबर २०१९

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