असत्य, अन्धकार और अज्ञान की शक्तियों का वर्चस्व पिछले डेढ़-दो हजार वर्षों से चल रहा है| उनके अस्तित्व को चुनौतियां भी मिलती रही हैं और अब वे धीरे धीरे पराभूत भी हो रही हैं| मुझे मेरी इस आस्था में कण मात्र भी संदेह नहीं है कि उनका पराभव निश्चित रूप से होगा| यह सृष्टि .... प्रकाश और अन्धकार का खेल है जहाँ दोनों की आवश्यकता है| इस लीला से परे जाना ही हमारा प्राथमिक लक्ष्य है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
९ जून २०१४
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