कोई माने या न माने, लेकिन यह परम सत्य है कि --- भारत में निश्चित रूप से धर्म की पुनर्स्थापना व वैश्वीकरण होगा, और अधर्म का नाश होगा। दुष्ट प्रकृति के लोगों का विनाश और सज्जनों की रक्षा होगी। भारत का सत्य व धर्मनिष्ठ अखंड आध्यात्मिक राष्ट्र बनना भी तय है। सनातन धर्म ही यहाँ की राजनीति होगी। असत्य और अंधकार की शक्तियों का पराभव होगा। हमारे जीवन में चाहे कितने भी अभाव और छिद्र हों, उनकी पूर्ति परमात्मा करेंगे।
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भगवान की पूर्ण कृपा होगी, अवश्य होगी, लेकिन यह तभी होगी जब हम अपने सारे राग-द्वेष, लोभ-अहंकार, व दंभ का उन्हें पूर्ण समर्पण कर देंगे। भगवान को भी हमारी -- सत्यनिष्ठा, स्थितप्रज्ञता, वीतरागता, और परमप्रेम -- अच्छे लगते हैं। ये गुण जिनमें हैं, वे इस पृथ्वी पर चलते-फिरते देवता है। पृथ्वी इनको पाकर सनाथ है, जहाँ भी इनके पैर पड़ते हैं, वह भूमि पवित्र और धन्य हो जाती है। ऐसे लोगों की सात पीढ़ियाँ स्वतः ही मुक्त हो जाती हैं।
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जिनमें छल, झूठ, कपट, और दंभ भरा पड़ा है वे कालनेमी इस पृथ्वी पर नर-पिशाच और राक्षस हैं। उन के दर्शन हो जाना भी पाप है। भगवान ऐसे दुष्ट असुरों से हमारी रक्षा करें। दुष्ट प्रकृति के लोग स्वयम् तो नर्कगामी होते ही हैं, अपनी सात पीढ़ियों व कुल को भी नर्क में ले जाते हैं।
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जहाँ पर भगवान हैं, वहाँ पर कोई अभाव और छिद्र नहीं रह सकता, पूर्णता ही पूर्णता होगी। भगवान की पसंद ही हमारी पसंद होनी चाहिए। अब और विलंब न करें। अलंकारिक शब्दजाल में न फँसें। भगवान की परम कृपा हमारी रक्षा कर सकती है, अन्यथा यह असंभव है। पात्रता होने पर भगवान स्वयं अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं।
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ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२५ मई २०२१
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