Wednesday, 9 June 2021

साधु, सावधान !! सामने नर्क-कुंड की अग्नि है ---

 साधु, सावधान !! सामने नर्क-कुंड की अग्नि है ---

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हमारी वासनाएँ, लोभ, अहंकार, व राग-द्वेष हमें निश्चित रूप से इस नर्क-कुंड में बलात् डाल देंगे। भूल से भी उधर मत देखो। अभी भी समय है, ऊपर परमात्मा का हाथ थाम लो, और कभी मत छोड़ो। परमात्मा में ही स्वतन्त्रता है। परमात्मा से हमारा वही संबंध है जो जल की एक बूँद का महासागर से है। सारे संबंध परमात्मा से ही हैं, अन्य कोई है ही नहीं। जीवन का असत्य, अंधकार और अज्ञान उस प्रकाश से दूर होगा जो भक्ति द्वारा हमारे हृदय में जागृत हो सकता है। अन्य कोई उपाय नहीं है। परमात्मा से पृथकता ही हमारी एकमात्र समस्या और हमारे सभी दुःखों का कारण है। सुख सिर्फ परमात्मा में है, अन्यत्र कहीं भी नहीं।
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राग-द्वेष और अहंकार से मुक्ति -- वीतरागता है, जो देवताओं को भी दुर्लभ, बहुत बड़ा तप है। जो वीतराग है वही स्थितप्रज्ञ है। परमात्मा के ध्यान में जो आनंद मिलता है वही वास्तविक सुख है, अन्य सब भटकाव है। धर्म की रक्षा हम धर्म का पालन कर के ही कर सकते हैं, अन्य कोई उपाय नहीं है। धर्म की रक्षा करेंगे तभी धर्म हमारी रक्षा करेगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
९ जून २०२१

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