११ अगस्त १९७९ को मोछू बांध के अचानक टूटने से गुजरात के मोरवी नगर में भयानक बाढ़ आई थी। हजारों लोग मरे। लाशों की सड़न इतनी भयंकर थी कि प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिये| पूरे देश से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सैंकड़ों स्वयंसेवक वहाँ पहुंचे और लाशों के अंतिक संस्कार किए।
वहीं एक २९ साल का स्थानीय लड़का था जिसके मन में लालच आ गया। उसने मरी हुई सैंकड़ों महिलाओं के मृत शरीर से सोने के गहने लूटे और पोटली भर कर ले आया। दूसरे गाँव जाकर उसने उन गहनों को बेच कर एक घर बनाया, खेती की जमीन और एक दुकान भी खरीदी, और बड़ा सेठ हो गया। दो लड़के बड़े हुए तो उनके विवाह किये , और पोते हो गए।
समय का पहिया घूमा। २६ जनवरी २००१ को प्रातः ९ बजे सेठ जी अपने दो पोतों को लेकर भुज के पास उनके स्कूल गए हुए थे। स्कुल में बच्चों के कार्यक्रम थे। सेठ जी बाहर बैठ कर धूप का आनंद ले रहे थे। उनके प्रिय पोते आने ही वाले थे। अचानक भूमि में कम्पन हुआ, और स्कूल की इमारत जमीन पर आ गिरी जिससे उनके दोनों पोते दब कर मर गये। वे भाग कर घर गये तो देखा कि उनका दो मंज़िला मकान भी गिर गया था, जिसके नीचे आकर उनका पूरा परिवार मारा गया। दूसरे दिन संघ के स्वयं सेवक और अन्य सहायता कर्मी आए और मलवे में से उनकी दोनों पुत्र वधुओं और पत्नी की लाशें निकाली। सहायता कर्मियों ने कहा कि आप मृत लाशों के गहिने निकाल लें, आपके काम आएंगे।
सेठ जी रोने लगे, कहा कि जिस को चाहिए वह गहनों को निकाल ले, वे खुद तो उनके हाथ भी नहीं लगाएंगे। पूरी बात उन्होने रो-रोकर सब को बताई।
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आज जब मानवता पर महामारी ने प्रकोप किया है, और पीड़ित लोग दवा और ऑक्सीज़न के लिए दर दर भटक रहे हैं, तब कुछ मनुष्य रूपी राक्षस ब्लेक में ऊंचे दाम लेकर उन्हें लूट रहे है, तो इसके बहुत बुरे परिणाम उन्हें भुगतने होंगे।
१ मई २०२१
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