यहूदी मज़हब बदनाम क्यों हुआ ? .....
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यहूदी, ईसाईयत और इस्लाम .... ये तीनों ही अब्राहमिक मत हैं| यहूदी एक व्यापारी कौम थी जिनका पश्चिमी एशिया, उत्तरी अफ्रीका और प्रायः सारे यूरोप में खूब बोलबाला था| अधिकाँश व्यापार इन लोगों के हाथ में ही था, और ये लोग जबरदस्त सूदखोर थे| ईसा मसीह स्वयं एक यहूदी थे पर उनको इन सूदखोर लोगों से इतनी घृणा थी कि उन्होंने सूदखोरी का सदा विरोध किया|
इनकी सूदखोरी के कारण ही इस्लाम ने भी सदा इनका विरोध किया| सूद बसूलने में ये यहूदी बड़े निर्दयी थे| यहूदियों ने सूदखोरी कर कर के लोगों को खूब लूटा, इसी कारण अन्य मतावलंबियों में इनके प्रति घृणा भर गयी|
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अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक शेक्सपीयर ने अपना नाटक Merchant of Venice यहूदियों की सूदखोरी के विरुद्ध ही लिखा था| इनको अपने सूद यानी ब्याज की रकम से इतना अधिक प्यार था कि उसके समक्ष इनका राष्ट्रीय हित भी गौण था| इसीलिये जर्मनी में ईसाईयों को इनसे घृणा हो गयी थी|
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इन्होनें अन्य सब मतों का सदा विरोध किया और उन्हें बदनाम करने का भी प्रयास किया| East India Company में भी अधिकाँश धन यहूदियों का ही था| वे इस कंपनी के लगभग मालिक ही थे| कार्ल मार्क्स भी एक यहूदी था| इतिहास में इनके धर्मगुरु भी सदा से ही सनातन धर्म के विरोधी रहे है
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आज भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए इजराइल का साथ आवश्यक है| इसलिए मैं भारत-इजराइल मित्रता का समर्थक हूँ| पर हमें अधिक अपेक्षा उनसे नहीं रखनी चाहिए| जितनी हमें इजराइल की आवश्यकता है, उस से अधिक इजराइल को भारत की आवश्यकता है| हमें उन से सैन्य और कृषि तकनीक लेकर आत्मनिर्भर हो जाना चाहिए| अंततः यहूदी हैं तो असुर ही, पता नहीं उनका असुरत्व कब जागृत हो जाए| अन्य असुरों के विरुद्ध ही हमें उनकी सहायता चाहिए| पर लम्बे समय में ये हमारे मित्र और समर्थक नहीं रहेंगे|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
५ जुलाई २०१७
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यहूदी, ईसाईयत और इस्लाम .... ये तीनों ही अब्राहमिक मत हैं| यहूदी एक व्यापारी कौम थी जिनका पश्चिमी एशिया, उत्तरी अफ्रीका और प्रायः सारे यूरोप में खूब बोलबाला था| अधिकाँश व्यापार इन लोगों के हाथ में ही था, और ये लोग जबरदस्त सूदखोर थे| ईसा मसीह स्वयं एक यहूदी थे पर उनको इन सूदखोर लोगों से इतनी घृणा थी कि उन्होंने सूदखोरी का सदा विरोध किया|
इनकी सूदखोरी के कारण ही इस्लाम ने भी सदा इनका विरोध किया| सूद बसूलने में ये यहूदी बड़े निर्दयी थे| यहूदियों ने सूदखोरी कर कर के लोगों को खूब लूटा, इसी कारण अन्य मतावलंबियों में इनके प्रति घृणा भर गयी|
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अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक शेक्सपीयर ने अपना नाटक Merchant of Venice यहूदियों की सूदखोरी के विरुद्ध ही लिखा था| इनको अपने सूद यानी ब्याज की रकम से इतना अधिक प्यार था कि उसके समक्ष इनका राष्ट्रीय हित भी गौण था| इसीलिये जर्मनी में ईसाईयों को इनसे घृणा हो गयी थी|
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इन्होनें अन्य सब मतों का सदा विरोध किया और उन्हें बदनाम करने का भी प्रयास किया| East India Company में भी अधिकाँश धन यहूदियों का ही था| वे इस कंपनी के लगभग मालिक ही थे| कार्ल मार्क्स भी एक यहूदी था| इतिहास में इनके धर्मगुरु भी सदा से ही सनातन धर्म के विरोधी रहे है
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आज भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए इजराइल का साथ आवश्यक है| इसलिए मैं भारत-इजराइल मित्रता का समर्थक हूँ| पर हमें अधिक अपेक्षा उनसे नहीं रखनी चाहिए| जितनी हमें इजराइल की आवश्यकता है, उस से अधिक इजराइल को भारत की आवश्यकता है| हमें उन से सैन्य और कृषि तकनीक लेकर आत्मनिर्भर हो जाना चाहिए| अंततः यहूदी हैं तो असुर ही, पता नहीं उनका असुरत्व कब जागृत हो जाए| अन्य असुरों के विरुद्ध ही हमें उनकी सहायता चाहिए| पर लम्बे समय में ये हमारे मित्र और समर्थक नहीं रहेंगे|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
५ जुलाई २०१७
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