Wednesday, 12 July 2017

अब कोई कामना न रहे ......

अब कोई कामना न रहे ......
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पिछले चार-पाँच वर्षों से जो भी आध्यात्मिक प्रेम के भाव आते थे वे फेसबुक के इस सार्वजनिक मंच पर व्यक्त हो जाया करते थे| अब पूर्ण संतुष्टि है, कोई कामना नहीं रही है, आगे कोई कामना हो भी नहीं, यही भगवान से प्रार्थना है|
इस मंच पर अनेक दिव्य और महान आत्माओं से मिलना हुआ है, बहुत अच्छा सत्संग मिला है, और सभी से अत्यधिक प्रेम मिला है| मैं सभी का आभारी हूँ और सब को सप्रेम साभार नमन करता हूँ|
अब परात्पर गुरु और परमशिव के प्रति परम प्रेम और उन्हें पाने की अभीप्सा बढ़ती ही जा रही है| अन्य सब भाव अब शनै शनै लुप्त हो रहे हैं| थोड़ा बहुत प्रारब्ध बचा है वह भी एक दिन कट ही जाएगा|
ध्यान साधना की दीर्घता और गहराई और अधिक बढाने की निरंतर प्रेरणा मिल रही है| जीवन अब परमात्मा को समर्पित है, जैसा वे चाहें वैसा करें| मेरी कभी कोई कणमात्र भी कामना न रहे यही उनसे प्रार्थना है|
आप सब से भी हार्दिक प्रार्थना है कि अपना अधिक से अधिक समय परमात्मा के ध्यान में व्यतीत करें|
ॐ सह नाववतु| सह नौ भुनक्तु| सह वीर्यं करवावहै| तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै| ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||
हरि ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

1 comment:

  1. जब अनाहत नाद अंतर में सुनना आरम्भ कर दे तब सारे संशय दूर हो जाने चाहिएँ और जान लेना चाहिए कि परमात्मा तो अब मिल ही गए हैं| अवशिष्ट जीवन उन्हीं को केंद्र बिंदु बनाकर, पूर्ण भक्तिभाव से उन्हीं को समर्पित होकर व्यतीत करना चाहिए|

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