Wednesday 12 July 2017

अंतमति सो गति, पर अंतमति कैसी होती है ......

अंतमति सो गति, पर अंतमति कैसी होती है ......
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भगवान का वचन है कि अंतकाल में जो मेरा स्मरण करते हुए मरते हैं वे मुझे ही प्राप्त होते हैं| अब प्रश्न यह है कि प्रयाणकाल में क्या भगवान सचमुच याद आते हैं ?
भगवान के वचन हैं ....
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् |
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः ||
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हम स्वयं को यह सोचकर मूर्ख न बनाएँ कि जीवन भर तो मौज-मस्ती करेंगे और जब हाथ-पैर नहीं चलेंगे तब अपना समय आयेगा और भगवान का नाम लेते लेते मर जायेंगे|
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अंतिम समय बड़ा भयंकर होता है| मनुष्य शारीरिक या मानसिक कष्ट या मूर्छा में ही प्राण त्यागता है| उस समय भगवान तभी याद आते हैं यदि जीवन में दीर्घकाल तक उनका स्मरण चिंतन करते करते हम देहाभिमान से मुक्त हो गए हों, अन्यथा नहीं|

ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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