Sunday, 2 June 2019

हमें सिद्धि क्यों नहीं मिलती ? .....

हमें सिद्धि क्यों नहीं मिलती ? ..... 
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हम साधना करते हैं, मंत्रजाप करते हैं, पर हमें सिद्धि नहीं मिलती, इसका मुख्य कारण है.... "असत्यवादन"| झूठ बोलने से वाणी दग्ध हो जाती है और किसी भी स्तर पर दग्धवाणी से किये गए मन्त्रजाप का फल नहीं मिलता| इस कारण कोई साधना सफल नहीं हो पाती| यदि वाणी दूषित, कलुषित, दग्ध स्थिति में हो तो उसके द्वारा उच्चारित मन्त्र भी जल जायेंगे| तब जप, स्तवन, पाठ आदि करते रहने पर भी अभीष्ट सत्परिणाम उपलब्ध न हो सकेगा| परिष्कृत जिह्वा में ही वह शक्ति है जो हमारे जप को सिद्ध कर सकती है|
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सत्य बोलो पर अप्रिय सत्य से मौन अच्छा है| प्राणरक्षा और धर्मरक्षा के लिए बोला गया असत्य भी सत्य है, और जिस से किसी की प्राणहानि और धर्म की ग्लानि हो वह सत्य भी असत्य है| जिस की हम निंदा करते हैं उसके भी अवगुण हमारे में आ जाते हैं|
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जो लोग झूठे होते हैं, चोरी करते हैं, और दुराचारी होते हैं, वे चाहे जितना मंत्रजाप करें, और चाहे जितनी साधना या पूजा-पाठ करें, उन्हें कभी कोई सिद्धि नहीं मिल सकती| सत्य ही परमात्मा है| सत्य से दूर जाकर परमात्मा का बोध नहीं हो सकता| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२९ मई २०१९

1 comment:

  1. जो लोग झूठे होते हैं, चोरी करते हैं, और दुराचारी होते हैं, वे चाहे जितना मंत्रजाप करें, और चाहे जितनी साधना या पूजा-पाठ करें, उन्हें कभी कोई सिद्धि नहीं मिल सकती.
    सत्य ही परमात्मा है.
    सत्य से दूर जाकर परमात्मा का बोध नहीं हो सकता.
    ॐ ॐ ॐ

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