हिन्द महासागर में चागोस द्वीपसमूह व डिएगो गार्सिया द्वीप :---
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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासंघ में ११६ अन्य देशों के साथ हिन्द महासागर में "चागोस द्वीपसमूह" से ब्रिटिश अधिकार हटाने और चागोस द्वीपसमूह मॉरिशस को सौंपने के प्रस्ताव का समर्थन किया है| अब ब्रिटेन को उपरोक्त द्वीप समूह छः महीनों के अन्दर अन्दर मॉरिशस को सौंपना ही चाहिये| इस विषय पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय पहले ही निर्णय दे चुका है| पर अपनी पुरानी दादागिरी की आदत के कारण ब्रिटेन शायद ही इन्हें खाली करे|
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अमेरिका ने भी दादागिरी से हिन्द महासागर में भूमध्य रेखा से नीचे डिएगो गार्सिया द्वीपों पर अधिकार कर के वहाँ अपना एक बहुत बड़ा सैनिक अड्डा बना रखा है| यह द्वीप भारत से सीधे नीचे है और अधिक दूर भी नहीं है, जहाँ से अमेरिकी बमवर्षक कभी भी भारत पर आक्रमण कर सकते हैं| यह द्वीप भी मॉरिशस का ही भाग है जिस पर पहिले पुर्तगालियों का अधिकार था, फिर फ़्रांस का, फिर ब्रिटेन का, अब अमेरिका का अधिकार है| सन १९६८ और १९७३ के मध्य में यहाँ के निवासियों को बलात् मॉरिशस और सेशल्स में भेज दिया गया था, उन्हें अब बापस आने की अनुमति नहीं है| अब तो वहाँ सिर्फ अमेरिकी सैनिक और कामकाज के सिलसिले में रह रहे अमेरिकी नागरिक ही रहते हैं| अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने और संयुक्त राष्ट्र संघ ने इन्हें भी बापस मॉरिशस को लौटाने को कह रखा है पर अमेरिका अपने इस विशाल सैनिक अड्डे को अपनी दादागिरी से कभी खाली नहीं करेगा|
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फ़्रांस ने भी मेडागास्कर के पूर्व में मॉरिशस के दक्षिण-पूर्व में १०९ नॉटिकल मील दूर रीयूनियन द्वीप पर अधिकार कर रखा है| वहां की जनसंख्या इस समय ८,६६,५०६ है| वहाँ की जनसंख्या में अनेक भारत से बहुत पहले मजदूरी के लिए बलात् ले जाए गए लोग भी हैं| यह भी मॉरिशस का ही भाग होना चाहिए|
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भारत के कभी अमेरिका से सम्बन्ध खराब हो जाएँ तो डिएगो गार्सिया का अमेरिकी सैनिक अड्डा ही भारत के लिए ख़तरा बन सकता है|
कृपा शंकर
२३ मई २०१९
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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासंघ में ११६ अन्य देशों के साथ हिन्द महासागर में "चागोस द्वीपसमूह" से ब्रिटिश अधिकार हटाने और चागोस द्वीपसमूह मॉरिशस को सौंपने के प्रस्ताव का समर्थन किया है| अब ब्रिटेन को उपरोक्त द्वीप समूह छः महीनों के अन्दर अन्दर मॉरिशस को सौंपना ही चाहिये| इस विषय पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय पहले ही निर्णय दे चुका है| पर अपनी पुरानी दादागिरी की आदत के कारण ब्रिटेन शायद ही इन्हें खाली करे|
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अमेरिका ने भी दादागिरी से हिन्द महासागर में भूमध्य रेखा से नीचे डिएगो गार्सिया द्वीपों पर अधिकार कर के वहाँ अपना एक बहुत बड़ा सैनिक अड्डा बना रखा है| यह द्वीप भारत से सीधे नीचे है और अधिक दूर भी नहीं है, जहाँ से अमेरिकी बमवर्षक कभी भी भारत पर आक्रमण कर सकते हैं| यह द्वीप भी मॉरिशस का ही भाग है जिस पर पहिले पुर्तगालियों का अधिकार था, फिर फ़्रांस का, फिर ब्रिटेन का, अब अमेरिका का अधिकार है| सन १९६८ और १९७३ के मध्य में यहाँ के निवासियों को बलात् मॉरिशस और सेशल्स में भेज दिया गया था, उन्हें अब बापस आने की अनुमति नहीं है| अब तो वहाँ सिर्फ अमेरिकी सैनिक और कामकाज के सिलसिले में रह रहे अमेरिकी नागरिक ही रहते हैं| अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने और संयुक्त राष्ट्र संघ ने इन्हें भी बापस मॉरिशस को लौटाने को कह रखा है पर अमेरिका अपने इस विशाल सैनिक अड्डे को अपनी दादागिरी से कभी खाली नहीं करेगा|
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फ़्रांस ने भी मेडागास्कर के पूर्व में मॉरिशस के दक्षिण-पूर्व में १०९ नॉटिकल मील दूर रीयूनियन द्वीप पर अधिकार कर रखा है| वहां की जनसंख्या इस समय ८,६६,५०६ है| वहाँ की जनसंख्या में अनेक भारत से बहुत पहले मजदूरी के लिए बलात् ले जाए गए लोग भी हैं| यह भी मॉरिशस का ही भाग होना चाहिए|
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भारत के कभी अमेरिका से सम्बन्ध खराब हो जाएँ तो डिएगो गार्सिया का अमेरिकी सैनिक अड्डा ही भारत के लिए ख़तरा बन सकता है|
कृपा शंकर
२३ मई २०१९
फ़्रांस ने भी मेडागास्कर के पूर्व में मॉरिशस के दक्षिण-पूर्व में १०९ नॉटिकल मील दूर रीयूनियन द्वीप पर अधिकार कर रखा है| वहां की जनसंख्या इस समय ८,६६,५०६ है| वहाँ की जनसंख्या में अनेक भारत से बहुत पहले मजदूरी के लिए बलात् ले जाए गए लोग भी हैं| यह भी मॉरिशस का ही भाग होना चाहिए|
ReplyDeleteअमेरिका ने भी दादागिरी से हिन्द महासागर में भूमध्य रेखा से नीचे डिएगो गार्सिया द्वीपों पर अधिकार कर के वहाँ अपना एक बहुत बड़ा सैनिक अड्डा बना रखा है| यह द्वीप भारत से सीधे नीचे है और अधिक दूर भी नहीं है, जहाँ से अमेरिकी बमवर्षक कभी भी भारत पर आक्रमण कर सकते हैं| यह द्वीप भी मॉरिशस का ही भाग है जिस पर पहिले पुर्तगालियों का अधिकार था, फिर फ़्रांस का, फिर ब्रिटेन का, अब अमेरिका का अधिकार है| सन १९६८ और १९७३ के मध्य में यहाँ के निवासियों को बलात् मॉरिशस और सेशल्स में भेज दिया गया था, उन्हें अब बापस आने की अनुमति नहीं है| अब तो वहाँ सिर्फ अमेरिकी सैनिक और कामकाज के सिलसिले में रह रहे अमेरिकी नागरिक ही रहते हैं| अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने और संयुक्त राष्ट्र संघ ने इन्हें भी बापस मॉरिशस को लौटाने को कह रखा है पर अमेरिका अपने इस विशाल सैनिक अड्डे को अपनी दादागिरी से कभी खाली नहीं करेगा|
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