Sunday, 2 June 2019

भगवान भी हमारे बिना नहीं रह सकते .....

भगवान भी हमारे बिना नहीं रह सकते .....
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यदि भगवान के बिना हम नहीं रह सकते तो भगवान भी हमारे बिना नहीं रह सकते| वे सदा हमारे सन्मुख हैं ...... "सन्मुख मरुत अनुग्रह मेरो"| हमारे ह्रदय में कौन धड़क रहे हैं? इन नासिकाओं से कौन सांस ले रहे हैं? इन आँखों से कौन देख रहे हैं? वे ही तो हैं| रामचरितमानस में भगवान श्रीराम कहते हैं .....
"नर तनु भव बारिधि कहुँ बेरो| सन्मुख मरुत अनुग्रह मेरो||
करनधार सदगुर दृढ़ नावा| दुर्लभ साज सुलभ करि पावा||"
"जो न तरै भव सागर नर समाज अस पाइ| सो कृत निंदक मंदमति आत्माहन गति जाइ||"
अर्थात् यह मनुष्य का शरीर भवसागर से तारने के लिए बेड़ा (जहाज) है| मेरी कृपा ही अनुकूल वायु है| सद्गुरु इस मजबूत जहाज के कर्णधार (खेने वाले) हैं| इस प्रकार दुर्लभ (कठिनता से मिलने वाले) साधन सुलभ होकर (भगवत्कृपा से सहज ही) उसे प्राप्त हो गए हैं|| जो मनुष्य ऐसे साधन पाकर भी भवसागर से न तरे, वह कृतघ्न और मंद बुद्धि है और आत्महत्या करने वाले की गति को प्राप्त होता है||
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ....
"सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मत्तः स्मृतिर्ज्ञानमपोहनं च| वेदैश्च सर्वैरहमेव वेद्यो
वेदान्तकृद्वेदविदेव चाहम्||१५:१५||"
अर्थात् मैं ही समस्त प्राणियों के हृदय में स्थित हूँ| मुझसे ही स्मृति, ज्ञान और अपोहन (उनका अभाव) होता है| समस्त वेदों के द्वारा मैं ही वेद्य (जानने योग्य) वस्तु हूँ तथा वेदान्त का और वेदों का ज्ञाता भी मैं ही हूँ||"
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एक गहन अभीप्सा हो, प्रचंड इच्छा शक्ति हो, और ह्रदय में परम प्रेम हो, तो भगवान को पाने से कोई भी विक्षेप या आवरण की मायावी शक्ति नहीं रोक सकती| जो सबके हृदय में हैं, उनकी प्राप्ति दुर्लभ नहीं हो सकती पर अन्य कोई इच्छा नहीं रहनी चाहिए|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ मई २०१९

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