अति महान युग पुरुष, परम देश भक्त, वीर सावरकर (जन्म: २८ मई १८८३ - मृत्यु: २६ फ़रवरी १९६६) को उन की १३६वीं जयंती पर कोटिशः नमन! भारत की स्वतंत्रता में उनका योगदान सर्वोच्च था| भारत माँ को स्वतंत्र कराने व धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए --- जीवनमुक्त अनेक प्राचीन महात्माओं ने भारत भूमि पर करुणावश स्वेच्छा से जन्म लिया| ऐसी ही एक महान आत्मा थीं --- श्री विनायक दामोदर सावरकर | भारत माँ के अधिकाँश कष्ट उन्होंने अपनी स्वयं की देह पर लिए| वे कोई सामान्य मनुष्य नहीं थे जो अपने प्रारब्ध के कारण जन्म लेते| वे तो एक जीवनमुक्त स्वतंत्र महान आत्मा थे जिन्होंने भारत माँ को पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए अपने ही स्तर की कुछ महान आत्माओं के साथ भारत भूमि पर स्वेच्छा से जन्म लिया| इतने अमानवीय कष्ट व यंत्रणाएं सहन कर, और अनेक महान कार्य करके वे स्वेच्छा से इस संसार से चले भी गए|
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"१८५७ का स्वतंत्रता संग्राम" नामक ग्रन्थ उनका महानतम ऐतिहासिक साहित्य था जिससे सभी क्रांतिकारियों और देशभक्त सैनिकों ने प्रेरणा ली| यह ग्रन्थ भारत की स्वतंत्रता का हेतु बना|
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अंडमान के बंदी जीवन से मुक्त होकर उन्होंने पूरे भारत में घूम कर हज़ारों हिंदु युवकों को सेना में भर्ती कराया| उनके इस प्रयास से भारत की ब्रिटिश सेना में हिन्दू सैनिकों की संख्या अधिक हुई| उनका कहना था की हमारे पास न तो अस्त्र-शस्त्र है, न उनको चलाना जानने वाले युवा हैं| वे चाहते थे कि हिन्दू युवा सेना में भर्ती हों, अस्त्र-शस्त्र प्राप्त करें, उन्हें चलाना सीखें और उनका मुँह अंग्रेजों की ओर मोड़ दें| नेताजी सुभाष बोस ने वीर सावरकर की प्रेरणा से ही आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना की थी|
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द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् भारतीय सिपाहियों ने अँगरेज़ अधिकारियों का आदेश मानने से मना कर दिया| नौ सेना का विद्रोह हुआ और अन्ग्रेज़ इतने डर गए कि भारत छोड़कर जाने को विवश हो गए| यह सब वीर सावरकर जैसी महान आत्माओं के संकल्प से हुआ| भारत माँ सदा ऐसे वीर पुत्र उत्पन्न करती रहेगी|
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वीर सावरकर को श्रद्धांजलि और भारत माता की जय ! वन्दे मातरम् !!
कृपा शंकर
२८ मई २०१९
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"१८५७ का स्वतंत्रता संग्राम" नामक ग्रन्थ उनका महानतम ऐतिहासिक साहित्य था जिससे सभी क्रांतिकारियों और देशभक्त सैनिकों ने प्रेरणा ली| यह ग्रन्थ भारत की स्वतंत्रता का हेतु बना|
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अंडमान के बंदी जीवन से मुक्त होकर उन्होंने पूरे भारत में घूम कर हज़ारों हिंदु युवकों को सेना में भर्ती कराया| उनके इस प्रयास से भारत की ब्रिटिश सेना में हिन्दू सैनिकों की संख्या अधिक हुई| उनका कहना था की हमारे पास न तो अस्त्र-शस्त्र है, न उनको चलाना जानने वाले युवा हैं| वे चाहते थे कि हिन्दू युवा सेना में भर्ती हों, अस्त्र-शस्त्र प्राप्त करें, उन्हें चलाना सीखें और उनका मुँह अंग्रेजों की ओर मोड़ दें| नेताजी सुभाष बोस ने वीर सावरकर की प्रेरणा से ही आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना की थी|
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द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् भारतीय सिपाहियों ने अँगरेज़ अधिकारियों का आदेश मानने से मना कर दिया| नौ सेना का विद्रोह हुआ और अन्ग्रेज़ इतने डर गए कि भारत छोड़कर जाने को विवश हो गए| यह सब वीर सावरकर जैसी महान आत्माओं के संकल्प से हुआ| भारत माँ सदा ऐसे वीर पुत्र उत्पन्न करती रहेगी|
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वीर सावरकर को श्रद्धांजलि और भारत माता की जय ! वन्दे मातरम् !!
कृपा शंकर
२८ मई २०१९
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