Tuesday, 4 November 2025

मेरी साधना ---

 साधना --- मेरा लक्ष्य केवल आत्म-साक्षात्कार यानि भगवत्-प्राप्ति है। जो भी कार्य मेरे माध्यम से हो रहा है, वह केवल परमात्मा ही कर रहे हैं। मेरा हरेक विचार व हरेक भाव केवल उन्हीं का है। ध्यान-साधना से अनुभूतिजन्य प्राप्त ज्ञान ही मेरा वास्तविक ज्ञान है, अन्य सब परमात्मा से प्राप्त मार्गदर्शन है। मेरी भक्ति (परमप्रेम और अनुराग) केवल परमात्मा के लिये है। जो भी साधना मेरे माध्यम से होती है, उसके कर्ता स्वयं परमात्मा हैं। जब मैं एकांत में होता हूँ तब मुझे केवल उन्हीं का प्रकाश दिखायी देता है, और उन्हीं की पवित्र ध्वनि सुनायी देती है। यही मेरी साधना है और यही मेरा जीवन है।

. जिस भी क्षण अपनी गहनतम चेतना में परमात्मा की प्रत्यक्ष अनुभूति हो, साधना के लिये वही सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। साधना का एकमात्र उद्देश्य पूर्ण समर्पण के द्वारा परमात्मा के प्रति परम-अनुराग यानि परम-प्रेम को व्यक्त करना है, अन्य कुछ भी नहीं। इस समय मेरी अंतःचेतना में केवल परमात्मा हैं, उनके अतिरिक्त मुझे कुछ भी नहीं पता। मुझे अपने जीवन में बहुत कम लोग ऐसे मिले हैं, जिन्हें परमात्मा से परमप्रेम है, अन्य सब तो परमात्मा के साथ व्यापार ही कर रहे हैं। अब तो मुझे सभी में परमात्मा के दर्शन होते हैं, अतः कोई अंतर नहीं पड़ता।

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यह मेरे इस जीवन का संध्याकाल है, अतः मेरे पास किसी के लिए भी समय बिल्कुल नहीं है। सारा अवशिष्ट जीवन और समय परमात्मा को पूर्णतः समर्पित है। हरिः ॐ तत्सत्॥
कृपा शंकर
१७ अक्तूबर २०२५

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