Tuesday, 4 November 2025

मेरी नौका के एकमात्र कर्णधार वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण हैं, वे स्वयं ही यह नौका हैं, और वे ही यह "मैं" बन गए हैं ---

 मैं इस समय किनारे पर बैठा हुआ, आने वाले समय के लिए पूरी तरह तैयार हूँ। स्वयं को छोड़कर किसी भी अन्य पर कोई भरोसा नहीं रहा है। मेरी नौका के एकमात्र कर्णधार वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण हैं, वे स्वयं ही यह नौका हैं, और वे ही यह "मैं" बन गए हैं। जो कुछ भी दिखाई दे रहा है, वह भी वे ही हैं। अन्य सब मिथ्या है।

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"बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते।
वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः॥७:१९॥" (गीता)
अर्थात् -- बहुत जन्मों के अन्त में (किसी एक जन्म विशेष में) ज्ञान को प्राप्त होकर कि 'यह सब वासुदेव है' ज्ञानी भक्त मुझे प्राप्त होता है; ऐसा महात्मा अति दुर्लभ है॥
"अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्।
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः॥८:५॥"
अर्थात् -- और जो कोई पुरुष अन्तकाल में मुझे ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है, वह मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है, इसमें कुछ भी संशय नहीं॥
"ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्॥८:१३॥"
अर्थात् -- जो पुरुष ओऽम् इस एक अक्षर ब्रह्म का उच्चारण करता हुआ और मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है॥
"अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः॥८:१४॥"
अर्थात् -- हे पार्थ ! जो अनन्यचित्त वाला पुरुष मेरा स्मरण करता है, उस नित्ययुक्त योगी के लिए मैं सुलभ हूँ अर्थात् सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ॥
"पुरुषः स परः पार्थ भक्त्या लभ्यस्त्वनन्यया।
यस्यान्तःस्थानि भूतानि येन सर्वमिदं ततम्॥८:२२॥"
अर्थात् -- हे पार्थ ! जिस (परमात्मा) के अन्तर्गत समस्त भूत हैं और जिससे यह सम्पूर्ण (जगत्) व्याप्त है, वह परम पुरुष अनन्य भक्ति से ही प्राप्त करने योग्य है॥
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"ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत: क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥"
"ॐ नमो ब्रह्मण्य देवाय गोब्राह्मण हिताय च।
जगत् हिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः॥"
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"हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर बैठ शिला की शीतल छाँह।
एक पुरुष, भीगे नयनों से, देख रहा था प्रलय प्रवाह॥" (कामायनी)
(उस पुरुष की तरह मैं भी एक साक्षी की तरह इस संसार का अवलोकन कर चुका हूँ जो किसी प्रलय से कम नहीं है)
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हरि: ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
३ नवंबर २०२५

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