Tuesday, 4 November 2025

पूर्वाञ्चल के लोग छठ पूजा अवश्य मनाते हैं ---

छठ पूजा -- पहिले केवल पूर्वाञ्चल (बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर-प्रदेश) के लोगों के साथ ही पहिचानी जाती थी, अब पूरे भारत में इसे लोग जानते हैं। इसका कारण है कि पूर्वाञ्चल के लोग पूरे भारत में कार्यरत हैं। वे अपनी सांस्कृतिक पहिचान के प्रति पूर्ण सजग हैं। वे कहीं भी हों, छठ महापर्व को अवश्य मनाते हैं।

.
पूर्वाञ्चल की अब और उपेक्षा नहीं कर सकते क्योंकि इस समय वहाँ पढ़ाई-लिखाई सबसे अधिक हो रही है, सबसे अधिक IAS और IPS का चयन, और IITs और IIMs में सबसे अधिक चयन पूर्वाञ्चली (विशेष रूप से बिहारी) नवयुवक/नवयुवतियों का हो रहा है। वहाँ के नवयुवक और नवयुवतियाँ खूब परिश्रम कर रहे हैं।
.
वास्तव में अंग्रेजों के समय से ही बिहार को जान-बूझकर पिछड़ा हुआ रखा गया क्योंकि अंग्रेजों का सबसे अधिक विरोध वहाँ हुआ था। अंग्रेजों ने वहाँ जनरल जेम्स जॉर्जस्मिथ नील नाम के एक अति क्रूर और भयानक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी को नियुक्त किया था जिसका उद्देश्य ही वहाँ के लोगों की हत्या करना और गाँवों को जला कर नष्ट करना था। लेकिन सन १८५७ के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतन्त्रता सेनानियों ने उसे लखनऊ व कानपुर में उलझा दिया और २५ सितंबर १८५७ को लखनऊ में उसे मार दिया। उसके व हेवलॉक और रोज जैसे क्रूर और भयानक जनरलों के सम्मान में अंग्रेजों ने अंडमान द्वीप समूह में कुछ द्वीपों के नाम रखे थे। उन नामों को वर्तमान केंद्र सरकार ने बदला है। इस नराधम नील और उसके साथी ब्रिटिश सैनिक अधिकारियों ने बिहार के सैंकड़ों गांवों को जला दिया और लाखों भारतियों की हत्या करवायी थी।
.
आज़ादी के बाद भी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बिहार को जानबूझ कर पिछड़ा हुआ रखा ताकि वहाँ से सस्ते मजदूर भारत के अन्य भागों को मिल सकें। यदि सेठ डालमिया जी (मूल रूप से चिड़ावा, जिला झुंझुनूं निवासी) आबाद रहते तो बिहार आज महाराष्ट्र जितना उन्नत होता। उन्हें नेहरू ने झूठे मामलों में फंसा कर बर्बाद कर दिया क्योंकि वे स्वामी करपात्री जी के शिष्य और एक कट्टर हिन्दू थे। उनके सारे उद्योग-धंधे बिहार में थे, और वे पूरे बिहार और उड़ीसा का पूर्ण औद्योगीकरण करने की क्षमता रखते थे।
.
बात छठपूजा से चली थी, जिसका समापन भी छठपूजा पर चर्चा से ही कर रहा हूँ जिसका समापन आज प्रातः सूर्य को अर्घ्य देकर हो गया है। मेरे अनेक परिचित और मित्र भारत के पूर्वाञ्चल में हैं। सभी श्रद्धालुओं को नमन !! ॐ तत्सत् !! ॐ नमः शिवाय !!
कृपा शंकर
२८ अक्तूबर २०२५

No comments:

Post a Comment