(प्रश्न) इब्राहिमी मज़हबों (Abrahamic Religions) में जिसे शैतान कहा गया है, वह शैतान कौन है?
(उत्तर) वह शैतान हमारी काम-वासना और लोभ है। शैतान शब्द का अर्थ लोग लगाते हैं कि वह कोई राक्षस या बाहरी शक्ति है, पर यह सत्य नहीं है। शैतान कोई बाहरी शक्ति नहीं, अपितु मनुष्य के भीतर की कामवासना और लोभ हैं, जो कभी तृप्त नहीं होते। अतृप्त रहने पर वे क्रोध को जन्म देते हैं। क्रोध बुद्धि का विनाश कर देता है, और मनुष्य का पतन हो जाता है। ये ही मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु हैं, जिन्हें Devil या Satan कहा गया है।
कहते हैं कि इंसान को God सही रास्ते पर ले जाता है पर Satan गलत रास्ते पर भटका देता है। वास्तव में यह काम वासना और लोभ ही हैं, जो शैतान है।
जिन लोगों का उद्देश्य ही अपनी कामवासना और लोभ को तृप्त करना है, वे शैतान के अनुयायी हैं। आज का अधिकांश विश्व इन्हीं से भरा हुआ है।
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इससे बचने का एक ही मार्ग है और वह है साधना द्वारा स्वयं को देह की चेतना से पृथक करना| यह अति गंभीर विषय है जिसे प्रभुकृपा से ही समझा जा सकता है| स्वयं के सही स्वरुप का अनुसंधान और दैवीय शक्तियों का विकास हमें करना ही पड़ेगा जिसमें कोई प्रमाद ना हो| यह प्रमाद ही मृत्यु है जो हमें इस शैतान के शिकंजे में फँसा देता है|
ॐ तत्सत् !
२६ जून २०२१
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