यह सृष्टि प्रकाश और अन्धकार का ही एक खेल है .....
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एक महिला साधिका को एक महान संत ने साक्षात उसके समक्ष प्रकट होकर दर्शन दिए | साधिका ने उन संत से पूछा : "भगवन, आप विश्व में चारों ओर छाये हुए इस अज्ञानान्धकार को दूर क्यों नहीं कर सकते ?
“अन्धकार," उन संत ने उत्तर दिया, "सृष्टि के आरम्भ से ही अन्धकार का महत्व है, इस सृष्टि का अस्तित्व अन्धकार और प्रकाश के द्वैत का ही एक खेल है | मेरा कार्य सिर्फ प्रकाश का विस्तार करना है"|
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एक महिला साधिका को एक महान संत ने साक्षात उसके समक्ष प्रकट होकर दर्शन दिए | साधिका ने उन संत से पूछा : "भगवन, आप विश्व में चारों ओर छाये हुए इस अज्ञानान्धकार को दूर क्यों नहीं कर सकते ?
“अन्धकार," उन संत ने उत्तर दिया, "सृष्टि के आरम्भ से ही अन्धकार का महत्व है, इस सृष्टि का अस्तित्व अन्धकार और प्रकाश के द्वैत का ही एक खेल है | मेरा कार्य सिर्फ प्रकाश का विस्तार करना है"|
अन्धकार और प्रकाश सदा रहेंगे | हमारा कार्य अन्धकार से प्रकाश की ओर
अग्रसर होना है | अन्धकार कभी समाप्त नहीं हो सकता | अन्धकार के बिना यह
सृष्टि नहीं चल सकती |
हमारी चेतना में हम परमात्मा के प्रकाश (ब्रह्मज्योति) का ही ध्यान करें | किसी तरह की हीन भावना न लायें | स्वयं को पापी समझना सबसे बड़ा पाप है | जीवन में प्रकाश का विस्तार करेंगे तो अन्धकार स्वतः ही दूर होगा | जीवन के अन्धकार की स्मृतियों को विस्मृत कर दें | परमात्मा की निरंतर उपस्थिति का सतत अभ्यास करें |
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०१ दिसंबर २०१७
हमारी चेतना में हम परमात्मा के प्रकाश (ब्रह्मज्योति) का ही ध्यान करें | किसी तरह की हीन भावना न लायें | स्वयं को पापी समझना सबसे बड़ा पाप है | जीवन में प्रकाश का विस्तार करेंगे तो अन्धकार स्वतः ही दूर होगा | जीवन के अन्धकार की स्मृतियों को विस्मृत कर दें | परमात्मा की निरंतर उपस्थिति का सतत अभ्यास करें |
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०१ दिसंबर २०१७
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